Menu
blogid : 1372 postid : 1136

कैसा ये प्यार है……

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
  • 117 Posts
  • 2690 Comments

वेलेंटाइन डे…… प्यार के लिए एक निश्चित दिन…. मेरे जैसे कई रुढ़ीवादी लोग इस एक दिन प्रेम की प्रथा का विरोध करते हैं….. जबकि वास्तव मे ये दिन हमारी आधुनिकता का परिचायक है……… हम आधुनिक हो गए हैं…….. हमें हर काम मे तेजी की आदत हो गयी है …… समय की वास्तविक कीमत से हम परिचित हो गए हैं……… हमे हर तरफ समय का महत्व पता है……….
.
हमारी बाइक्स हादसों की परवाह किए बिना हमारे समय को बचाती हैं……. 2 मिनट मे मैगी तैयार …….. इस तरह का हमारा खाना है….. हम सब कुछ सीमित समय मे चाहते हैं……. समय से पहले बड़े होने के हमारे प्रयास हैं……… ओर इसी प्रयास मे बच्चे बचपन मे ही नकली दाडी मूंछ लगाकर प्रफुल्लित होते हैं……. सिगरेट मुह मे दबा कर उन्हे लगता है वो जल्दी बड़े हो रहे हैं…….
.
इतनी जल्दी मे भला जनम जनम का प्रेम कहाँ फिट बैठता हैं……….. इसलिए आधुनिक लोग एक दिन माता पिता के लिए …… एक दिन शिक्षकों के लिए ……. रिजर्व करके अपना दायित्व पूरी तरह निभाते हैं………
.
ओर दूसरी ओर बजरंग दल, शिव सेना व अन्य छोटी मानसिकता वाले दल इस महान सोच का विरोध करते हैं………. ये दुष्यंत शकुंतला, कृष्ण मीरा या सत्यवान सावित्री जैसे प्रेमी प्रेमिकाओं के समय की विचारधारा वाले लोग भला इस प्रेम को कैसे समझेंगे……..
जिनके लिए प्रेम का अर्थ देशप्रेम, मातृ पितृ प्रेम जैसा संक्षिप्त हो वो भला कैसे इस भावना को समझेंगे………. श्रवण कुमार के समकालीन रोमियो की मानसिकता को कैसे समझ सकते हैं………
.
ये आधुनिक प्रेम बड़ा ही विस्तृत है…………. ये सीमित नहीं अपितु अपार संभावना से भरा है………. ये बंधन रहित है…. इस प्रेम मे सोच कुछ ऐसी है……..

सोमवार को नजर मिली
मंगलवार को प्यार
बुधवार को इजहार
ब्रहस्पति को इंतज़ार
शुक्रवार को शादी
शनिवार को तलाक
रविवार को रेस्ट
सोमवार को नैक्सट
.
बीती बात पुरानी थी……… तब आदमी की सोच पुरानी थी…… तब सरकारी नौकरियों का प्रचलन था…. आदमी जिस विभाग मे भर्ती हो जाता वहाँ से या तो वो रिटायर ही होता या वही काम करते करते विभाग पर बलिदान हो जाता………
.
तब प्रेमी प्रेमिकाओं के आदर्श भी अलग अलग थे……….. राम-सीता…… राधा-कृष्ण……. सत्यवान-सावित्री………. और आज दीपिका-रणवीर …… करीना-शाहिद….. फिर करीना सैफ…….. सलमान कटरीना……… हैं और इनके प्रेम के बारे मे भी सभी को पता है…………
.
ये आधुनिक समय है……. युवा वर्ग जब तक साल मे 2-3 नौकरी नहीं बदलता है तब तक ये माना जाता है की शायद उसको नॉलेज कम है…….. ओर जब तक 2-3 गर्लफ्रेंड नहीं बदलता तब तक ये माना जाता है की उसमे स्मार्टनेस की कमी है…. वो प्रभावशाली व्यक्तित्व का नहीं है…….
.
इसी लिए जरूरी है इस बात को समझना की कहीं पश्चिम की अंधी दौड़ मे हम प्रेम जैसे संवेदनशील विषय को भी संकुचित तो नहीं करते जा रहे……… वेलेंटाइन डे का विरोध बिलकुल गलत है पर प्रेम के इस स्वरूप का जो इस दिन दिखता है …………. पार्कों मे, पुराने किलों मे, एकांत स्थलों पर………… उसका विरोध होना ही चाहिए……….. क्योकि ये प्रेम नहीं नहीं वासना है………


Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh