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चारों और देश भक्ति के गीतों, भाषणों और नारों के बीच हमने स्वतंत्रता की साल गिरह मन दी.. आज हम देशभक्त बनने का प्रयास करे कुछ लोगो ने अपने विचार बच्चों को स्कूलों में तो मुख्यमंत्रियों ने प्रदेश वासियों को और प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों को सुनाये….
हमने भी जनता होने को पूरा फ़र्ज़ निभाया और जैसे चुनाव में उसको बिना सोचे वोट देते हैं वैसे ही बिना पूरा भाषण सुने तालियाँ बजा कर ये दिखने की कोशिश की वो जो कह रहे है वो बिलकुल सही है और हम उनके साथ हैं.
इसमें कोई बुरी बात नहीं है. अगर आप पिछले दस साल के भाषण उठा कर देखे को आपको पता चलेगा की जैसे बच्चे पिछले दस साल के पेपर पढ़ते है की उसमे से कुछ फिर रिपीट हो जायेगा. वैसे ही आप पाएंगे की इन भाषणों में काफी कुछ रिपीट होता है. आप को ये भी लगने लगेगा की अगले साल क्या भाषण लालकिले की प्राचीर से दिया जायेगा वो आप अभी बता सकते है.
क्यों पिछले कुछ सालो से हमारे देश की तस्वीर बदल नहीं रही…….. हम क्यों अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर प् रहे है ……………………
इस तरह के सवालों का जबाब हमको खोजना होगा………………
तभी एक नयी सुबह की और ये देश बढेगा………………….
जय हिंद …………………..
जय भारत…………………..
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