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आज़ादी की 63 व़ी वर्षगांठ पर जो चीज़ सबसे सुखद लगी वो है छोटे छोटे बच्चो के अंदर का उत्साह. भले ही वो इस लिए हो की उन्हें एक दिन ऐसा मिला है, जिस दिन वो पढाई से आज़ाद है पर सुकून ये है के कोई तो खुश है. उम्मीद की जा सकती है की शायद ये भारत भाग्य विधाता बन पाएंगे. ये बुझ चुके दिए में तेल से भीगी बाती से हैं. और एक हलकी सी चिंगारी शायद इस दिए को जला दे……
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एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तो
इस दिये में तेल से भीगी हुई बाती तो है
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इस देश में एक कमजोरी हावी हो चुकी है. अब आवाज़ उठाने लोग नहीं आते पर जब आवाज़ उठाने की कोई कोशिश करता है तो उस पर प्रतिक्रिया जरूर दे देते है. इस देश की परंपरा है की हम ईमानदार है जब तक की हमे बेईमानी करने का मौका नहीं मिलता. हम अहिंसक है जब तक सामने वाला हमसे अधिक ताकतवर है. हमने अपने मुल्क को जो कभी सोने की चिड़िया था और अंग्रजों के जाने के बाद यदि ये नेता इसे वापस सोने की चिड़िया बनाने की कोशिश करते तो ये जरूर बन जाता. मगर अब इस मुल्क का हाल कुछ यूँ बयां किया जा सकता है…..
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बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ
ये मुल्क देखने लायक़ तो है हसीन नहीं
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आज 15 अगस्त के मौके पर मैं उन युवाओं का आह्वान करता हूँ. जो भारत में भविष्य की चिंता से बाहर बस जाना पसंद करते है……उनको मैं बस इतना कहना चाहता हु……
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आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख
घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख
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इस देश के लोगो की मुर्दा हो चुके जमीर को जगाने के लिए उनके सोये जमीर पर लगातार चोट करनी पड़ेगी….. तभी शायद उनका सोया जमीर जाग उठे……
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ये दरवाज़ा खोलें तो खुलता नहीं है
इसे तोड़ने का जतन कर रहा हूँ
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कई बार लोगो की लगता है की इस प्रकार लिखने से क्या किसी का जमीर जागेगा. क्या इस तरह भी कभी लोग समझे है. क्या लोगो पर किसी बात का असर होता है….
कही ये सब लेख फिजूल तो नहीं तो उन लोगो को में एक बार फिर दुष्यंत कुमार जी के शेर से ही कुछ कहूँगा……….
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वो मुतमुइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए
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बेशक इन लेखो से किसी के अहं को ठेस पहुचती होगी. मेरे एक लेख जिसमे मैंने प्रकार के कुछ लोगों को जो खुद को दुसरे से उच्च साबित करके अपने अहं को तृप्त करते हैं पर कटाक्ष किया था. तो वो लोग जिनके अहं को ठेस लगी उनके जवाब भी मेरे पास आये.. वो लोग जिन्हें ऐसे बातों से ठेस लगती है उनके लिए मैं केवल इतना कहूँगा…………..
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हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग
रो—रो के बात कहने की आदत नहीं रही
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जय हिंद ………………..
जय भारत………………
जय हे जय हे जय जय जय जय हे………………
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