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भगवान् से बड़ा A.T.M.

परिवर्तन की ओर.......
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भगवान् से बड़ा एटीएम
इस लेख का शीर्षक थोडा अजीब जरूर है. पर सच्चाई के काफी नजदीक है……. अगर हम अपने आस पास देखें तो ये बिलकुल सही लगेगा. क्या भगवान् और एटीएम में कोई सम्बन्ध संभव है. नहीं फिर भगवान् से एटीएम को बड़ा कैसे कह दिया……….. थोडा अपने आसपास देखें तो उत्तर खुद आपको खोज लेगा……..
भगवान् जानते सब हैं पर कोई नहीं जानता…….. अर्थात कहते सब है की वो जानते है न केवल जानते हैं अपितु मानते भी हैं. मगर वास्तव में जानता कोई नहीं है. हमने बचपन में अपने माता पिता से सुना की ये जो मूर्ति है ये मूर्ति पत्थर नहीं भगवान् है………. आपने पूछा की क्या हर पत्थर भगवान होता है तो उत्तर मिला नहीं ये मूर्ति के रूप में जो पत्थर है वो ही भगवान् है……
अब आज जिस पत्थर को उठा कर आपने इसलिए फेक दिया था की वो रस्ते में आकर लोगो को चोट पंहुचा रहा था, कल जैसे ही मूर्तिकार ने उसे मूर्ति का रूप दिया वो भगवान् हो गया………..आपको शक हुआ की सबको कल तक चोट पहुचना वाला आज भगवान् कैसे हो गया…….
तो कही आप इन सवालों में उलझ कर धर्मभ्रष्ट व पथभ्रष्ट न हो जाओ तो आपको नया पाठ पढाया गया की इनसे जो मांगो वो मिल जाता है…. बस यही पर अब उस छोटे से बच्चे ने समर्पण कर दिया….. आदमी की फितरत है की जैसे ही उसको किसी चीज़ का फायदा बता दो उसके तर्क वही पर समाप्त हो जाते है…….. अब उस बच्चे के तर्क भी ख़त्म हो गए………..
पर जब उसने भगवान् से साइकिल मांगी तो भगवान् नहीं दे सके. जब उसने अच्छे नंबर मांगे तो भगवान् नहीं दे सके ……………. उसने जो जो माँगा वो कुछ भी भगवान् नहीं दे सके ……………..
अब वो परेशान है ये कैसा भगवान् है. इस से अच्छा तो एटीएम मशीन है जो जब मांगो पैसे दे देती है. और पैसे आपको सबकुछ दिलवा सकते है……….

तो ये हम है जो बच्चों को भगवान् को ये इच्छा पूरी करने की मशीन की तरह दिखा रहे है. और जब उस मासूम की इच्छा पूरी नहीं होती तो उस भगवान् पर से उसका भरोसा उठ जाता है……तब वो उस परमात्मा से भी नहीं मिलना चाहता है जिसको वो पा सकता था… और फिर हम कहते है की नए पीढ़ी नास्तिक है…….

तो आगे से पूरा प्रयास करे की किसी बच्चे का सर मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे या चर्च के आगे आपके दवाब के कारन न झुके ……. अन्यथा उस परमात्मा पर से उसकी श्रद्धा ख़त्म हो जाएगी……… उसको जानने का मौका दे …. उसके अन्दर जिज्ञासा जागने का मौका दें की आखिर ये है क्या शक्ति है जो इस पूरी धरा का संचालन कर रही है……… आखिर परमात्मा जैसे चीज़ है क्या……………..

तब शायद वो जान ले क्यों की बिना प्रश्न के जवाब का कोई लाभ नहीं, बुद्ध ने ज्ञान पाया क्योकि उसको जवानी, बुढ़ापा, बीमारी तक के बारे में कुछ सिखाया नहीं गया था… उनके ह्रदय में प्रश्न उठा और उन्होंने पा लिया उस परमात्मा को जिसे लोग सालों पत्थरों में नहीं खोज पाए………………………..
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