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ईमानदारी की तोहफा…….

परिवर्तन की ओर.......
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एक लकडहारे की ईमानदारी की एक कथा हम सबने बचपन में सुनी थी………

जिसमे एक लकडहारा था……. जो जंगल में रोज लकड़ी काटने जाता था……… और एक बार लकड़ी काटते हुए उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गयी……… वो वही बैठ कर भगवान् को याद करने लगा…………. तभी पानी के देवता ने भर आकर उसको दर्शन दिए और उसके रोने का कारन पूछा……………. और जब उसने बताया की उसकी कुल्हाड़ी पानी में गिर गयी है……..

तो देवता एक चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आये और लकडहारे से पूछा की क्या ये तुम्हारी है……. लकडहारा बोला नहीं ये मेरी नहीं है……… फिर वो देवता वापस पानी में गए…………….. और अबकी बारी सोने की कुल्हाड़ी ले कर आये और फिर पूछा की क्या ये कुल्हाड़ी तुम्हारी है………

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और लकडहारा फिर बोला की नहीं ये मेरी नहीं है………. और जब अंत में जल देवता लोहे की कुल्हाड़ी ले कर आये तो लकडहारा बोला की हाँ ये ही मेरी है………

अब देवता ने खुश होकर उसको तीनो कुल्हाड़ियाँ दे दीं………….. लकडहारा चला गया और उसने ये कहानी अपने घर वालों को सुनाई…………
यहाँ से नयी कहानी शुरू होती है……………

अब लकडहारे का लड़का और उसकी बीबी दोनों लकड़ी काटने गए………. बीबी पेड़ पर चढ़ कर पति की मदद कर रही थी…………. की अचानक पत्नी का पैर फिसल गया और वो नदी में गिर गयी……….. और लकडहारे का लड़का रोने लगा…….. रोते हुए उसे बहुत देर हो गयी .. पर वो घर जाने को तैयार नहीं था ………. बस रोये जा रहा था………

तभी जल देवता प्रकट हुए…………. और उन्होंने उस से रोने का कारन पूछा ………… तो उसने बताया की उसकी पत्नी पानी में गिर गयी है……… और अगर वो नहीं मिली तो वो भी पानी में कूद कर अपनी जान दे देगा………..

देवता को दया आ गयी और वो पानी में उतरे ………… और अब उनके साथ करीना कपूर थी….. और उन्होंने उस लकडहारे से पूछा की क्या ये तुम्हारी बीबी है………. लकडहारे ने उसको ध्यान से देखा और उछलते हुए बोला की हाँ ये ही है………

देवता क्रोध से भर गए और बोले ………. झूठे मैं अभी तुझे मृतुदंड देता हूँ……… क्या ये तेरी पत्नी है……… लकडहारा घबरा गया … ओर कुछ सँभालते हुए बोला………… नहीं भगवान् ये मेरी पत्नी नहीं है………
देवता :: तो फिर झूठ क्यों कहा…………
लकडहारा :: पिछली बार की आपकी कृपा के कारण………….
देवता :: साफ़ साफ़ कहो मैं कुछ समझा नहीं………..
लकडहारा :: भगवान् मेरे पिता जी की कुल्हाड़ी जब गिरी तो आपने पहले चांदी की फिर सोने की और फिर लोहे की कुल्हाड़ी दिखाई और पिताजी की ईमानदारी से खुश होकर उनको तीनो कुल्हाड़ी दे दी…….
और मैं नहीं चाहता था की आप करीना के बाद बिपाशा और फिर अंत में मेरी पत्नी को लाते और बाद में तीनो मुझे उपहार स्वरुप दे देते………
पर मैं इस कम आमदनी में इन तीनो को कैसे पाल सकता था इस लिए मैं पहले में ही मान गया…..

इसे केवल व्यंग समझ कर भूल जाएँ …………. किसी की भावनाओं को आहात करना मेरा उद्देश्य नहीं है……….

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