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भिटोली की कहानी……….

परिवर्तन की ओर.......
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मेरे द्वारा पूर्व में लिखी जा चुकी लोक कथा काफल पाको मैं नि चाखो…….. और इस कहानी में एक छोटी सी समानता है………… और यहाँ की लोक कथाओं में अक्सर इस तरह की ये समानता आपको मिलेगी…………
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हमारे यहाँ शायद ये माना जाता है की….. यदि कोई अपनी भूल के प्रायश्चित के दुःख से मृत्यु को प्राप्त होता है तो वो चिड़िया बन जाता है……………. और वो अपने द्वारा की गयी भूल को गा गा कर कहता है……. इसलिए हर बार ये समरूपता दिखाई देगी………….
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इस बार इस कहानी का विषय उत्तराखंड में मनाया जाने वाला एक त्यौहार भिटोली है………. वास्तव में ये कोई त्यौहार नहीं है…….. अपितु एक पूरा महीना (चैत का) भिटोली के महीने के तौर पर मनाया जाता है…….. इस महीने भाई अपनी बहिन को भिटोली देता है…….. भिटोली ………….लड़की को मायके की और से पकवान और वस्त्र व भेंट के तौर पर दिए जाने वाले अन्य सामान है………..
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ये कहानियां मैंने बहुत पहले सुनी थी और पहाड़ी भाषा में सुनी थी………..इस लिए इसमें शब्द मेरे ही हैं पर भाव मूल कथा का ही है……….
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बहुत पहले एक गांव में एक परिवार रहता था ………. जिसमे माता पिता व एक भाई व एक बहिन थे…… भाई संभवत: छोटा ही रहा होगा………. (पूरी कहानी पढ़ कर आपको भी शायद ये महसूस हो)…….. बहिन की शादी हो गयी……….. अब शादी के बाद पहली बार भिटोली का महीना आया…….
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पहली भिटोली को लेकर घर में बड़ा उत्साह था………… बहिन का ससुराल बहुत दूर था……… और उस समय में गाड़ियाँ केवल गिनी चुनी जगहों तक ही सिमित थी……. और सुदूर इलाकों में लोग पैदल मिलो चला करते थे…………. उस लड़की का ससुराल बहुत दूर था…. पैदल जाने में सात से आठ घंटे लग जाते थे………
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अब तय हुआ की भाई सुबह तडके भिटोली लेकर बहिन के ससुराल जायेगा….. और शाम अँधेरा होने से पहले ही घर लौट आएगा……….. क्यूंकि रस्ते में घना जंगल है और जंगली जानवर हमला कर सकते हैं…………. भाई भी बहिन से मिलने और भिटोली देने की ख़ुशी में रात को सो गया…………….
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सुबह तडके उठ कर माँ ने पकवान बना दिए ……….. और कुछ भेंट रखकर एक पोटली बना दी……. और लड़के को विदा कर दिया………….. अपनी मस्ती में गाता झूमता लड़का चला जा रहा था……….. और दोपहर होते होते वो अपनी बहिन के घर पहुच गया…………..
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पहाड़ में महिलाओं का जीवन कठिन संघर्ष से भरा है……… सुबह उठ कर नहाना धोना…… गाय व अन्य जानवरों को चारा देना………. उनके गोठ (जहाँ जानवरों को बंधते हैं) को साफ़ करना……… जंगल से लकड़ी लाना…….. घास काटना…… घर की साफ़ सफाई …. चूल्हा चोका………. लगातार काम ही काम होता है……… आराम का कोई पता नहीं………
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ऐसे ही सुबह से काम करते करते थकी हुए……… वो लड़के की बहिन भी अपने भाई के इंतजार में दरवाज़े पर बैठे बैठे सो गयी…….. भाई जब उसके घर पर पंहुचा….. तो दरवाजे पर सोयी बहिन को देखा और आवाज़ लगायी …….. पर बहिन नहीं उठी………. फिर उसने सोचा की सुबह से थकी बहिन को कुछ देर सोने देता हूँ……….
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और वो भी दरवाजे पर बैठकर बहिन के उठने का इंतजार करने लगा……. सूरज अब उतार पर था…… लड़के को छह घंटे का सफ़र और करना था……. रास्ता जंगल से भरा था…… पर भाई बहिन को उठाने की हिम्मत नहीं कर सका…….. वो गहरी नींद में सो रही कठिन परिश्रम से थकी अपनी बहिन को पूरा आराम करने देना चाहता था……. क्योकि उसको पता था की उसकी बहिन को फिर अभी उतना ही काम और करना है………. क्योकि दिन आधा ही हुआ है……….
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अब उसको अपनी माँ व पिता जी की चिंता सताने लगी ………..वो इंतजार कर रहे होंगे…… और क्योकि रास्ता जंगल का है……. और आते हुए वो बहुत थक चूका था और सुबह का भूखा भी था…….. तो उसने बिना बहिन को उठाये वापस जाने का फैसला किया……….
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उसने भिटोली से भरी वो पोटली बहिन के पास राखी और चुपचाप चला गया…….. भिटोली का ये त्यौहार भाई व बहिन दोनों के लिए समान महत्व का विषय है……… तो जितना इसके प्रति भाइयों में प्रेम है उतना ही बहिनों में भी………..
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अब बहिन की सास जब घर लौटी तो उसने देखा की बहु दरवाजे पर सो रही है………… और उसके पैरों के पास भिटोली की पोटली है……….. तो उसने बहु को आवाज लगा कर उठाया……. और कहा उठ बहु देख तेरा भाई आ कर चला गया है…………
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लड़की ने जैसे ही वो पोटली देखी…….. वो दुःख के मारे रोने लगी की मेरा भाई उतने दूर से मुझसे मिलने के लिए और ये भिटोली देने के लिए आया और मैं सोयी रह गयी………. बहिन भाई के प्रति हमेशा भाई की तुलना में अधिक संवेदना रखती है…… और जब भाई भी इतना संवेदनशील हो तो ………… बहिन का दुःख समझा जा सकता है…………
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बहिन इस दुःख में की मेरा भाई…… यहाँ तक आया और उसने मुझे सोते देख कर न जाने कितनी आवाजें लगायी होंगी…….. पर मैं आभागी नहीं उठी……… और मेरा भाई उतनी दूर से आया और भूखा प्यासा ही वापस चला गया………… रोते रोते शाम होने तक वही पर मर गयी………….
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उस प्रायश्चित में मरी बहिन ने भी चिड़िया का रूप लिया और वो भी भिटोली के महीने में जंगलों में एक दर्द भरी आवाज़ में कहती है……..की…………. मेरे भाई आ कर चला गया और मैं अभागी सोयी रह गयी…………. वो इसको पहाड़ी भाषा में कहती है……….. और अगर आप मिलाने की कोशिश करेंगे तो एक एक अक्षर मिलता हुआ पाएंगे…………
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