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वो बीते दिन याद हैं……………………

परिवर्तन की ओर.......
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इंसान जब भी दुखी होता है या अकेला होता है…………तो उसका सबसे बड़ा सहारा उसकी यादें होती है……….. जो उसका अकेलापन और उसके दुःख को कुछ कम करदेती हैं…….. पर कुछ बातें ऐसी भी होती हैं जो उसको ख़ुशी में भी याद आ जाती हैं…………….. आज बारिश में फिसलकर गिरते एक लड़के को देखा और उसको गिरते देख एक लड़की को चीखते देखा तो कुछ याद आया ………….. तो आज मैं अपने पुराने दिनों की कुछ खट्टी मिठी बातें आपके साथ बाटना चाहता हूँ…………

इंसान कितना ही बड़ा या बूढ़ा ही क्यों न हो जाये वो कभी भी अपने कॉलेज के दिनों को नहीं भूलता है………. वैसे तो मैं स्कूल के दिन भी नहीं भुला हूँ……….. पर कॉलेज के वो दिन बहुत याद आते हैं…………. आज उस फिसलकर गिरते लड़के को देख कर बहुत याद आया वो कॉलेज का पहला दिन…………..

आज कॉलेज का पहला दिन था………….. मैं और मेरे चाचा जी का लड़का दोनों ने एक ही क्लास में प्रवेश लिया…………….कॉलेज में जब हम गए तो मैं और मेरा चचेरा भाई दोनों घर से एक साथ तैयार होकर जाते थे…… चाचा जी का लड़का मुझसे छोटा है…. मात्र तीन दिन……… फिर भी बड़ा होने के नाते मेरे पर उसकी जिम्मेदारी थी…….. की उसको कॉलेज में कोई परेशानी न हो….. और वो कुछ गलत व्यहार न करे……. हालांकि वो मुझसे कहीं अधिक सज्जन और समझदार है………… फिर भी………… बड़े को हमारे देश में महत्व मिलता ही है………..

कॉलेज में आज पहला दिन था ……..हम दोनों भाई साथ ही गए……… पहला ही दिन और बड़ी तेज बारिश हो रही थी …. इसलिए बमुश्किल कोई छः या सात लोग वहां पहुंचे थे … सब के सब एक कमरे में बैठ गए…… अब हम इंतजार में थे की कोई टीचर आये और कुछ बताये की क्या होना है और कैसे होना है…..

पर कोई नहीं आया ये कहने की क्या करना है……….. अब आगे की सीट से एक लड़का पीछे आया……… जैसा की मैंने पहले बताया की यहाँ केवल छह या सात लोग थे पूरी क्लास में……….. फिर भी मैं सबसे पीछे वाली सीट मैं बैठा था…… और भाई भी पूरी तरह से मेरा साथ दे रहा था…… और वो भी मेरे ही साथ सबसे पीछे बैठा था….

अब आगे की सीट में बैठा एक लड़का पीछे आया ……… और उसने हमसे हमारे बारे में पूछा……… और हमे अपने बारे में बताया……….. और उस दिन के बाद से आज सात साल हो गए हैं …….. और वो एक बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी में प्रोग्रामर है………. और कहीं बाहर है……. पर हम आज भी उतने ही करीब है जितने कॉलेज के दिनों में थे……….

उस दिन जो की हमारा कॉलेज में पहला दिन था …….. हम साथ साथ बैठ कर बातें कर रहे थे……….. हमारे दूसरी और कौन बैठा है हमको पता नहीं था………… पर तभी दो आवाज़े एक साथ आई ………. एक धडाम की……….. और दूसरी किसी पतली सी आवाज़ में लड़की की चीख की जैसी ……….

हमने चौंक कर देखा तो क्लास के प्रवेश द्वार पर एक लड़का गिरा पड़ा था ……. इस से पहले की हम उस तक पहुच पाते …. वो खड़ा होकर खुद हमारे पास आ गया…….. फिर हमने वापस पीछे देखा क्योकि चीख की आवाज़ लड़के की न होकर लड़की की थी………

फिर देखा तो वहां एक लड़की और एक लड़का भी सबसे पीछे की सीट पर बैठे थे…. और वो लड़की ही उसको गिरते देख कर चीखी थी……….

अब हमने उस लड़के के बारे में जानना शुरू किया…….. और फिर बातचीत चलते चलते ही पता चला की वो कल ही गांव से आया था और उसका पैर फिसल जाने की वजह से वो गिर गया था…….. अब एक टीचर ने आकर बताया की अब आज कोई नहीं आया है तो हमको कलसे आना होगा. और क्लास कल से ही लगेगी…….
रस्ते में मित्र जो आगे से पीछे हमसे मिलने आया था……….. ने उस लड़के से कहा जो गिर गया था,,,,,,,,,,,,,, की जब वो लड़की चिल्लाई तो मुझे लगा की कोई कुत्ता घुस आया है………. पर देखा तो तू था……………. और हसने लगा…………… मुझे हसने में थोडा संकोच हुआ पर जब वो लड़का जो गिरा था वो खुद हँसा तो फिर हम दो भाई भी ये भूल कर की किसी के ऐसे हालत पर हसना गलत है……..जोर जोर से हसने लगे…………..

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