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एक अहिंसा का पुजारी…. और एक राष्ट्रप्रेम की सच्ची प्रतिमा…….. और दोनों का जन्मदिवस एक साथ …….. ये एक बड़ा सुखद संयोग है.. पर बड़े दुःख का विषय है की इस 2 अक्टूबर के पुरे महापर्व में आदरणीय लाल बहादुर शास्त्री जी कहीं खो से जाते हैं…….
एक छोटे से बच्चे से जब मैंने पूछा की कल क्या है वो बोला गाँधी जी का जन्मदिन तो मैंने उससे कहा की हां बिलकुल सही और कल ही लाल बहादुर शास्त्री जी का भी जन्म दिन है ……. तो उसने कहा वो तो ठीक है पर ये हैं कौन…….. तो मैंने उसको बताया की वो हमारे दुसरे प्रधानमंत्री थे…… तो उसने कहा पर हम प्रधानमंत्री का जन्म दिन थोड़ी मानते हैं………… और हमको तो टीचर ने बताया भी नहीं है…….
अब थोडा बुरा सा लगा….. गाँधी जी और शास्त्री जी की कोई तुलना नहीं है….. पर जितना देश के प्रति प्रेम गाँधी में था उतना ही शास्त्री जी में भी…….. पर जैसा की अक्सर होता है की एक बड़े पेड़ की छाया में छोटा पौंधा कहीं गम हो जाता है………. पर हमने तो एक विराट व्यक्तित्व को ही छुपा दिया……….
यदि शास्त्री जी 2 अक्टूबर की जगह अन्य किसी और दिन पैदा हुए होते तो शायद जय जवान और जय किसान का नारा देने वाले इस महापुरुष को हम किसी दिवस के रूप में मानते……. पर 2 अक्टूबर को हम इस महापुरुष को याद करना भी भूल जाते है……..
मीडिया भी कहीं गलती से जिक्र कर देता है की शास्त्री जी का जन्मदिवस भी है……. अन्यथा स्कूल कॉलेजों में तो शास्त्री जी के शायद चित्र भी न मिल पायें……..शास्त्री जी का केवल 19 महीने का प्रधानमंत्री काल सरगर्मियों से भरा, तेज गतिविधियों का काल था। इस काल के दौरान राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय अहमियत के कई सामाजिक तथा राजनैतिक मसलों ने सिर उठाया, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा युद्ध भी शामिल है।
राजनीती में संत शब्द की कल्पना को साकार रूप देने वाले शास्त्री जी के जीवन की कई घटनाएँ प्रेरक प्रसंगों में सुनाई जाती है……… बेदाग़ छवि और देश के प्रति अपार प्रेम से भरे शास्त्री जी और गाँधी जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाई………………
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