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नाम जो पहचान बन गए……..

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
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अक्सर कुछ लोग ऐसे अदभुद होते हैं……… जो अपनी प्रतिभा के बूते अपने को किसी विषय का पर्याय बना लेते हैं……. जैसे सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के पर्याय से लगने लगे हैं……….. अमिताभ अभिनय जगत के पर्याय……. लता मंगेशकर संगीत जगत की……… बाबा रामदेव योग के…….. और न जाने कौन कौन किस-किस के पर्याय बन गए……………
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पर फिलहाल मैं व्यक्ति नहीं अपितु उत्पादों के सम्बन्ध में कहना चाहता हूँ………… आज बाले लम्बे समय के बाद एक शब्द सामने आया तो मानो बीते दिनों की याद ताजा हो गयी…….. और वो नाम था डालडा……. ये शब्द सुनते ही सबसे पहले जो चीज़ याद आई वो थी एक पहेली………….जो आस्कर बचपन में हम लोग एक दुसरे से पूछते थे…….. और वो थी……….. की ………..तीन अक्षर का मेरा नाम उल्टा सीधा एक समान…………….
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तब हमारे पड़ोस में एक लड़का था जिस से आप कितनी बार भी ये पहेली पूछो वो उत्तर डालडा ही कहता………. हर बार उसको समझाया जाता की नहीं ……… इस का उत्तर है…. जहाज ……..वो कहता की ठीक है ……… पर दुबारा पूछने पर वो फिर कहता की डालडा………..और हम उसको कहते की तेरे बुद्धि पर डालडा ही जम गया है……….
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ये डालडा शब्द उन दिनों वनस्पति घी का पर्याय सा बन गया था…….. लोग खुला वनस्पति घी लेने जाते तो भी कहते की एक किलो डालडा दे देना…….जैसे वनस्पति घी ने नया नाम पा लिया हो…….. फिर लम्बे समय बाद कई नए ब्रांड बाजार में आये और तब भी लोगों का रुख नहीं बदला वो तब भी कहते की एक किलो डालडा वो रथ वाला…….
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ये तो थी डालडा की कहानी………. कुछ ऐसा ही हाल कई और उत्पादों का है…….. दन्त मंजन कई सालों तक कोलगेट ही था……. लोग कहते की एक कोलगेट दे दो…… और दूकानदार कोई अन्य टूथपेस्ट पकड़ा देता और वो चले आते…….. आप कहें की ये तो बबूल है कोलगेट नहीं………. तो वो कहते की क्या कहते हो ……… ये दांत साफ़ करने का कोलगेट ही है……. इस बार नाम अलग है………….
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एक अन्य उत्पाद जिसमे ये सारा घटनाक्रम मैंने नजदीकी से देखा है……….. वो है L.I.C. पिछले साल जब मैं LIC में कैशियर / सहायक के पद पर था……… तो कई लोग मेरे पास आते और पूछते की पन्त जी…….. एक L.I.C.करवाई है.. जरा बता दें की ठीक है की नहीं……… और वो मुझे Bond दिखाते किसी अन्य कम्पनी का……फिर में जब उनको कहता की ये L.I.C. नहीं है…… ये तो किसी और कंपनी का Bond है… इसके बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता……… तो वो कहते की हाँ इस बार L.I.C. किसी दूसरी कंपनी से करा ली है……….. उनके लिए इंश्योरेंस का पर्याय L.I.C. बन चुका था………….
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ऐसे ही न जाने कितने ब्रांड है जो उत्पाद के नाम के रूप में लिए जाने लगे हैं……….कुछ ये हैं और बाकि कुछ आप सोचें…….

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