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मर्यादा पुरोषत्तम ही थे भगवान् श्री राम……..

परिवर्तन की ओर.......
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मर्यादा पुरोषत्तम भगवान् श्री राम…………. त्याग की ……… प्रेम की…….. भक्ति की……… और भक्त वत्सलता की प्रतिमूर्ति………. न जाने कितनी बार भगवान श्री राम चन्द्र के मर्यादा पुरुषोत्तम होने पर लोगों ने प्रश्न चिन्ह लगाया…….. किन्तु वो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अनंत काल से अपनी मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि के साथ लोगों के हृदय मे आज भी उसी तरह से निवास कर रहे हैं……. जैसे उस काल मे करते थे…………..


आखिर कैसे भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जा सकता है………. इस सवालो को पूछने वाले वे लोग जो हिन्दू धर्म से संबंध रखते हैं………. उनसे मैं एक सीधा सा प्रश्न करना चाहता हूँ की….. नाली के पानी ओर गंगाजल मे क्या कोई अंतर है……….. आप किसी विज्ञान के छात्र से ये पूछें तो वो कहेगा की नहीं………. दोनों का एक ही फॉर्मूला है H2O……….. दोनों मे कोई फर्क नहीं ……… पर अगर यही सवाल आपसे पूछा जाए तो आपका कुछ ओर ही उत्तर होगा……… जब हम गंगा की पवित्रता पर सवालिया निशान नहीं लगाते……… तो मर्यादा पुरुषोत्तम के चरित्र पर क्यों….. गंगा मैया ने कई बार ये साबित किया है की उसका जल साधारण जल सा नहीं है……….बेशक H2O उसका भी फ़ॉर्मूला हो पर क्यों वैज्ञानिक उसको जहर जैसा खतरनाक बता चुके हैं……… और उस जल के आचमन से ही इनकार करते हैं……….. फिर भी उनकी साडी खोज को गंगा मैया झुटला देती है……….. वो आज भी अमृत ही है…………….. ………….


क्या हम श्री राम के कार्यों की समालोचना करने योग्य हैं………… क्या प्रभु की लीला को समझ सकना हम लोगों के बस में है………… ये हमारी महान धार्मिक स्वतंत्रता ही है…. जो हिन्दू धर्म ने हमें दी है जिसमे हम प्रभु श्री राम से भी सवाल कर सकने की कोशिश करते हैं………… ………..


भगवान श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम होने पर जो सबसे बड़ा सवाल है वो ये है की क्यों उन्होने स्वयं अग्निपरीक्षा न देकर माता सीता को अग्निपरीक्षा देने को विवश किया…… क्या माता सीता ही राम से दूर रही ……….. क्या राम सीता से अलग नहीं रहे……….. इन सवालों को जब भी मैं सुनता हूँ……. तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रति श्रद्धा भाव ओर भी अधिक हो जाता है…………


अब उन सभी लोगों से एक प्रश्न है जो भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहने मे कुछ असहज महसूस करते हैं………. ओर प्रश्न ये है की आखिर भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है………. क्या अगर माता सीता के स्थान पर वो स्वयं अग्निपरीक्षा दे देते तो क्या वो तब मर्यादपुरुषोत्तम नहीं कहे जाने चाहिए थे……. शायद नहीं………… ? वो कहे ही इस लिए जाते हैं की उन्होने ये परीक्षा नहीं दी…….. ओर ये परीक्षा माता सीता को देने को कहा……….


तीनों लोकों के स्वामी भगवान श्री राम को क्या ये नहीं पता होगा की कलयुग मे लोग इस बात को ले कर उनके मर्यादपुरुषोत्तम होने पर सवालिया निशान लगा सकते हैं……….. वो कलयुग जहां लोग सूर्पनखा से न्याय करवाएँगे……….. वो सूर्पनखा जो राखी सावंत के रूप मे कलयुग मे महिलाओं के सम्मान को उचाइयों तक ले जाएगी…….. फिर भगवान से इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है……………


वास्तव मे यही वो घटना है जिस ने वास्तव मे श्री राम को मर्यादापुरुषोत्तम बनाया…….. जब सीता माता अग्नि परीक्षा को सफलतापूर्वक निभा गयी……… तो श्री राम के लिए ये क्या कठिन था…………. जिस श्री राम के नाम के पत्थर पानी मे तैर सकते हैं…………. उसके लिए क्या कुछ असंभव है……….


किन्तु इन सब के बाद भी श्री राम ने माता सीता को अग्निपरीक्षा देने को कहा……….. क्या होता यदि सीता माता अग्नि परीक्षा नहीं देती तो………….. ? भगवान श्री राम जानते थे की माता सीता पूरी तरह से पवित्र थीं……….. फिर क्यों उनको इस बात की आवश्यकता हुई की उन्होने माता सीता को अग्नि पर चलने को विवश किया……….


इस का एक मात्र कारण यही था की उन्होने अपने ऊपर उंगली उठना स्वीकार किया किन्तु सीता पर कोई प्रश्न चिन्ह लगाए ये वो नहीं चाहते थे………… अग्नि परीक्षा देकर माता सीता………. सदियों के लिए चरित्र का पर्याय बन गयी……….

किन्तु यदि ये नहीं होता ओर माता सीता के स्थान पर भगवान श्री राम अग्नि परीक्षा मे उतरे होते तो शायद जिस तरह आज लोग भगवान श्री राम के मर्यादा पुरुषोत्तम होने पर सवालिया निशान लगा रहे हैं…………. उसी तरह माता सीता के देवी होने पर भी प्रश्न चिन्ह लगा देते…………. तो माता सीता को अनंत कालों के लिए देवी बनाकर भगवान श्री राम ने अपने ऊपर सवालिया निशानों को स्वीकार किया……………. यूं ही कोई मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं कहा जाता……………….


मेरा ये लेख किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को आहात करने के लिए या किसी ब्लॉग को गलत साबित करने के लिए नहीं है…… ये ब्लॉग पर प्रतिक्रिया बंद होने के कारण अलग से लिखना पड़ा अन्यथा ये उस ब्लॉग मे प्रतिक्रिया स्वरूप हैं……………. ये वास्तव मे वो प्रश्न हैं जो अक्सर उठाए जाते हैं ओर जवाब देने से लोग बचते हैं…………….. तो उनके इस बचने से राम की महानता पर प्रश्न चिन्ह का आकार बढ़ जाता है…………

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