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ये एक बहुत आम दृश्य है …….. की आप छोटे-छोटे 15 16 साल के लड़कों को मुंह मे सिगरेट दबाये………. धुवा उड़ते देख सकते हैं…….. मैं जानना चाहता था की आखिर ऐसा क्यों हैं…………… तो एक मित्र से जो की सिगरेट पीने का शौकीन था…….. से इस विषय पर बात हुई …. मैंने उसको पूछा की तू सिगरेट क्यों पीता है……. तो वो बोला की बस यूं ही….. तो मैंने उसको पूछा की तो छोड़ क्यों नहीं देता इस गंदी आदत को……….. तो वो बोला की यार ये बता इसमे बुराई क्या है…………
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तो मैंने कहा की तू ही बता दे की अच्छाई क्या है……… तो वो बोला…. इअका बहुत फायदा है….. तो जो मैंने फायदा सुना वो आप भी सुनें ………….
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यार ये तो मै इस लिए पीता हूँ की मुझे योगा अच्छा लगता हैं……….. ओर मैं राम देव जी का फैन हूँ………. तो मैंने कहा की वही बाबा जी तो इस के लिए मना करते हैं…….. तो ये छोड़ कर उनके योग क्यों नहीं करता ……….. तो वो बोला की पंत जी ये तो प्राणायाम की ही एक विधि है…… मैने कहा की प्राणायाम मे सिगरेट कहा से आ गयी………. तो वो बोला अच्छा बता की वो क्या कहते हैं …………. यही ना की सांस अंदर लो फिर सांस बाहर छोड़ो………..
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तो मैं वो ही तो करता हूँ……….. साँस (सिगरेट का कश) पहले अंदर लेता हूँ………… फिर बाहर छोड़ता हूँ………. इस तरह एक तो लत मिट जाती है और दूजा काम योग भी हो जाता है……….. तो मैंने कहा जिसे तू सांस कह रहा है वो तो जहरीला धुवा है…….. तो वो बोला ओर जो तुम लेते हो वो कौनसा शुद्ध हवा है…………फिर वो थोडा गंभीर होते हुए बोला की यार मैं इसको छोड़ना तो चाहता हूँ पर ये छुट नहीं पाती……….
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फिर मैंने उसको कहा की तू इसको छोडना चाहता है तो एक तरीका है………. एक कहानी है उसको नकल करके देख शायद तेरा काम हो जाए………….
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ओर मैंने उसको ये कहानी सुनाई………….की
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एक बार कुछ लोग एक जहाज से जा रहे थे……… ओर जहाज किसी वीरान जगह पर फंस गया……….. जहाज मे पड़ा राशन कुछ दिनों मे ही खत्म हो गया……. पर एक बड़ी अजीब घटना घटी….. वहाँ कुछ लोग ऐसे थे की जिनको खाने पीने का कोई मतलब नहीं उनको बैचनी थी तो सिगरेट की ……… जब उनको सिगरेट पीने को नहीं मिली तो वो लोग पाल से बंधी रस्सियाँ जला जला कर पीने लगे……… हालांकि कैप्टन ने बहुत समझाया की अगर पाल की रस्सियाँ जला दी गयी तो जहाज चलेगा कैसे………. पर लोगों ने कहा की अब जो होता है हो जाए पर हम बिना सिगरेट के नहीं रह सकते……..
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आखिरकार किसी तरह सभी लोग वापस अपने मंजिल पर पहुच गए……. अब जब ये जहाज पहुँच गया तो इसके संबंध मे अखबारों मे भी काफी खबरें छपी………. अखबार पढ़ते हुए इक आदमी ने जब ये खबर पढ़ी तो उस समय वो सिगरेट पी गया ….. उसको ये बात बड़ी अजीब लगी की लोग गंदी गंदी रस्सियाँ जला कर पी गए इस सिगरेट की लत के चलते……… वो आदमी खुद चेन स्मोकर था……….. उसने सोचा अगर मैं भी वहाँ होता तो क्या मैं भी वो गंदी रस्सियाँ जला जला कर पीता………. एक पल के लिए उसको ये ख्याल आया….. ओर उसने आधी पी हुई अपनी सिगरेट ऐशट्रे पर रख दी…… ओर खुद से कहा की अब इस सिगरेट को
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तभी उठाऊंगा…… जब मुझे लगे की अब मैं गंदी रस्सियाँ भी जला कर पी सकता हूँ……….
20 साल गुजर गए……… ओर वो सिगरेट वहीं पड़ी रही…. वो उसको उठाकर फेंकता भी नहीं था….. लोग पूछते की ऐसा क्यों …… तो वो कहता की अब मैं इसे उसी दिन उठाऊँगा जब की मुझे ये लगे की आदत बड़ी ओर मैं छोटा हो जाऊंगा………… पर वो आती नहीं है………… मैं महसूस करना चाहता हूँ की आखिर क्यो ओर किन परिस्थितियों मे उन लोगों को रस्सियाँ जला कर पीनी पड़ी…….
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पर वो घड़ी आई ही नहीं…… फिर उसने कहा की मैंने कई बार सिगरेट को छोड़ा पर कभी भी नहीं छोड़ पाया……… दो तीन दिन तक तो छोड़ देता पर फिर शुरू हो जाता… पर इस बार छोड़ा भी नहीं………. ख्याल पीने का ही है फिर भी नहीं पी पा रहा हूँ…….. समझ नहीं आता की की इसका क्या कारण है……..
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अब मित्र बोला की मेरी समझ मे आ गया की उसने क्यों छोड़ी सिगरेट ……..? मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ……क्योकि जिसने छोड़ी वो नही समझ सका ओर कोई ओर समझ गया……… कैसे…….? तो वो बोला । उसने पीने का इंतज़ार किया तो उसके दिमाग मे से सिगरेट की जगह रस्सी की याद बस गयी उसको लगा की वो रस्सी कैसे पिये…….?
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तो मैंने पूछा की तो क्या तू भी छोड़ सकता है……. सिगरेट ऐसे है………… वो बोला हाँ क्यों नहीं…………. ले आज से ही………. ओर अब मैं भी तब ही सिगरेट पीने की बात करूंगा जब मुझे लगे की मैं गंदी रस्सी का धुवा पीना चाहता हूँ………… मैंने कहा चलो ये सही है कम से कम एक मित्र राह पर तो आया……… फिर शाम को वो मिला …….ओर बोला की यार पंत जी……. एक गंदी रस्सी का इंतजाम करना है…………….
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ओर मैं समझ गया की उसका सारा ज्ञान सिगरेट ने खत्म कर दिया है………….
आप सभी से अनुरोध है की किसी भी आदत को अपने से बड़ा न होने दो …………. आदत कभी भी अच्छी या बुरी नहीं होती आदत सिर्फ आदत होती है……….ओर वो आदमी को छोटा कर देती है………….
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इस घटना का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है…….व सभी घटनाएँ काल्पनिक हैं…….
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