Menu
blogid : 1372 postid : 1215

मैं बेगुनाह हूँ……… फिर सजा क्यों…….. ?

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
  • 117 Posts
  • 2690 Comments

एक लंबे समय से मैं अपने अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहा हूँ……….. कई बार अलग अलग तरह से मैंने फरियाद की …… पर कोई लाभ नहीं ……. जब मेरे सारे प्रयास असफल हो गए तो आखिरकार मुझे प्रेम से ओतप्रोत हो रहे इस मंच का सहारा लेना पड़ा…….. क्योकि आजकल इस मंच पर वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट चल रहा है तो पीयूष भाई को इस बात की बड़ी फिक्र थी की कहीं मेरे कारण इस वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट मे उनका प्रेम पर एक ओर लेख लिखने समय मेरी फरियाद टाइप करने मे ही न निकाल जाए………
.
ओर सबसे बड़ी बात मेरी फरियाद आपलोगों के बीच रख कर फायदा क्या होगा………. ? आदरणीय पीयूष जी ने मेरे लिए बहुत कुछ कोशिश की पर हार गए……. शासन प्रशासन सबकी ओर से मुझे उपेक्षित किया जा चुका हूँ……. ये मंच बुद्धिजीवियों का है …… ओर शायद आप लोगो के द्वारा ही कोई उपाय निकाल जाए…….. इसी बात को आधार बना कर मैंने एक बार फिर पीयूष जी से प्रार्थना की कि एक बार मेरे विषय मे इस मंच के लोगों से कोई राय मांग लें…….. एक बार मेरी कहानी इस मंच पर रखें ओर पुछें कि क्या मेरा कोई कसूर है……….
.
मैं अपने परिवार के साथ अपने विशाल क्षेत्र मे रहता था…….. बड़ा ही खुश था…….. इतना बड़ा क्षेत्र था मेरा कि कभी खाने को सोचना नहीं पड़ा……… हमेशा आनंद पूर्वक रहा…. मेरी जमीन इतनी थी कि उसकी कभी पहरेदारी नहीं कि…. .. फिर कुछ लोग मेरी जमीन से जुड़े स्थानो पर रहने लगे…….. ओर थोड़ा थोड़ा करके उन्होने मेरी जमीन दबानी शुरू कर दी……
.
मैंने कुछ नहीं कहा…… क्योकि तब भी मेरे पास बहुत कुछ था…….. मेरा मानना था कि उतने मे भी मेरी कई पुश्तें यूं ही पल जाएंगी……. फिर लोगों ने अपने रिशतेदारों को भी बसाना शुरू किया….. ओर मेरा क्षेत्र कम होता गया………. पर मैं शांत रहा…….. फिर हालत ओर भी बिगड़ गए……… लोगों ने अपने खाने के नाम पर मेरे क्षेत्र मे घुस कर मेरे खाने को खाना शुरू कर दिया……. कई बार तो वो खाने के लिए भी नहीं ……… बल्कि उसको बर्बाद करने के लिए ही आते थे……
.
मैं चुप था…….. फिर उन्होने मेरे परिवार वालों को भी आतंकित करना शुरू कर दिया……. अब पानी सर के ऊपर से जा रहा था……. ओर प्रतिकार करना जरूरी था……….. सो मैंने भी उनको डरना शुरू कर दिया…… मैं नहीं जानता था कि कानून क्या है …….कानून, संविधान, मानवाधिकार जैसे शब्द आप जैसे बुद्धिजीवी लोगों का श्रंगार है मैं तो इनका मतलब तक नहीं जानता……..
.
अब नेता वोट को जानता है ओर प्रशासन नेता को मानता है…….. ऐसे मे मेरे लिए आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं रहा…….. तो भीड़ को अपना वोट मानने वाले नेता ओर प्रशासन ने ये एक तरफा फैसला किया कि वो लोग जो मेरे क्षेत्र को कब्जा करके बैठे हैं वो मेरे क्षेत्र मे नहीं अपितु मैं ही उनके क्षेत्र मे हूँ………… क्या जिनके पास भीड़ नहीं है उनको जीने का अधिकार नहीं है……… क्या मेरे पास मेरे जमीन संबंधी कागज नहीं है तो मुझे दोषी माना जाए…….
.
नेता ओर प्रशासन ने ये एक तरफा फैसला किया कि यदि मैं उन लोगों के क्षेत्र मे आता हूँ तो मुझे मार दिया जाए…….. मुझे उनके क्षेत्र मे (जोकि मेरा ही था) देखते ही गोली मारने के आदेश जारी हो गए है………. अब ये फैसला आपके हाथों मे सौप कर मैं आपका जवाब चाहता हूँ………
.
मैं कोशिश कर रहा हूँ कि मैं आपका फैसला सुनने तक अपने इलाके मे ही चुपचाप बैठा रहूँ ………. आज इस प्रेम के माहौल मे जिस बुझे मन से पीयूष भाई ने मेरा पक्ष रखा है……. उस से मैं आहात हूँ……… पर आशा है कि आप लोग जितना उत्साह प्रेम के लेखों मे दिखा रहें है उतना ही इस गरीब कि फरियाद मे भी दें………… बाकी अगर पियूष भाई ने चाहा तो वो मेरी पूरी कहानी ओर मेरा फ़ैमिली फोटो आपको दिखा दें……… अभी मैं लाया नहीं हूँ……. ओर उस फोटो को कम्प्युटर मे डालने मे भी पियूष भाई को टाइम लगता इसलिए मैंने ज़ोर नहीं दिया ………….
.

कल आपको मैं फिर पियूष भाई के माध्यम से यहाँ मिलुंगा……………….
तब तक के लिए………… 🙂

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh