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क्या मैं बच पाउँगा……. ?

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
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कल के लेख में आपने मेरे बारे में पढ़ा ……. आपने अपने अपने आकलन किये …… मेरे लिए………. अब कुछ और तथ्य बताना चाहता हूँ……… नीचे दिए लिंक्स पर राईट क्लिक करके उन्हें न्यू विंडो पर एक बार पढ़ लें…………
मैं कौन हूँ……… ?
क्या है मेरा कसूर ….?
क्या मैं इतना बुरा हूँ…… ?
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जी हाँ तो अब आप मुझे पहचान गए…….. मैं हूँ आपका राष्ट्रीय पशु बाघ……… आकड़ों में जिनकी संख्या 1411 बताई जाती है……… पर पिछले 15 दिन में ही हमारे 3 साथियों के शव भारत के प्रसिद्द टाइगर रिजर्व कार्बेट नेशनल पार्क के क्षेत्र से पाये गए……… वास्तव मे अगर हमारी सर्वाधिक संख्या कहीं देखनी हो तो सरकारी आकड़ों मे देखें……… वहाँ हम मरने के बाद भी जिंदा है…….. ओर यकीन मानिए…… की जब हम पूरी तरह से भी लुप्त हो जाएंगे……. तब भी सरकारी आकड़ों मे कई वर्षों तक पाये जाएंगे………. क्योकि हमारे संरक्षण के नाम पर ही कई विभाग के अधिकारी करोड़ों मे खेल रहे हैं……… हम अब जंगलों मे कहीं भी नहीं हैं…. …..जहां बचे है वहाँ सरकारें हमारे लिए शिकारी नियुक्त कर रही हैं……….
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कार्बेट पार्क की सीमा से लगे क्षेत्र मे एक बाघ को मार कर जिस तरह हाथी पर बैठा कर घुमाया गया ……….. वो हमारे प्रति सरकार के संरक्षण का सुबूत है…….. सरकारों से हमें कोई शिकायत भी नहीं है ……. जो पाकिस्तानी/ बंगलादेशी आतंकवादियो को अपने घर मे घुसने से नहीं रोकती वो भला हमारे घर मे घुसने वाले अपने वोटरों को कैसे रोके…….. जिस तरह इन आतंकवादियों द्वारा किये गए बम धमाकों के बाद उस की जांच के नाम पर ही जनता के कई करोड़ उड़ाए जाते हैं…… उसी तरह हमारे संरक्षण ओर हमें मारने दोनों ही कामो के लिए भी लाखों का खेल होता है………
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हमने कभी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया……… एक पूरा का पूरा जंगल हमने अपने लिए चाहा…….. और हमने कई पर्यटकों को भी अपने दर्शनों के लिए आकर्षित किया ………. जिससे सरकारी खजाने मे बढ़ोतरी हुई……..आम जन से हमारी कोई शत्रुता नहीं रही…….. हमने कभी किसी को कोई हानी नहीं पहुंचाई………. पर आदमी ने हमारे जंगल मे घुस कर जंगली जानवरों को या तो अपने खाने के लिए या फिर शिकार के शौक के कारन मारना शुरू कर दिया…….कहते है की जब पेट की आग जलाती है तो आदमी भी जानवर बन जाता है ….. तो हम तो जानवर है ही…… जब ऐसे आदमी के लिए जो पेट की खातिर जानवर बना मौत की सजा नहीं है तो हमारे लिए क्यों………….
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इन लोगों ने हमे मारने के लिए जंगल मे लोहे के शिकंजे लगाए……….. जिनमे फंस कर या तो हमने अपने पंजों से या फिर अपनी जान से हाथ धोया……… पर जब हम अपने पंजे को गंवा बैठे तो हमारे लिए भोजन का संकट हो गया…….. एक अपाहिज आदमी तो मांग कर भी खा ले ….. पर एक अपाहिज शेर कैसे …………. जिन पंजों से हम शिकार करते हैं…….. अगर वो ही न रहें तो हम क्या करें………. एक ही रास्ता है किसी सरल शिकार की खोज ……… ओर वो ही इंसान जो की हमारे क्षेत्र मे अक्सर ही घुसता है………. कभी हमारे शिकार के लिए तो कभी लकड़ी ओर चारे के लिए………… (हमारे स्वभाव और नरभक्षी बनाने के कारणों के बारे में ऊपर के लिंकों में काफी कुछ है….)
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फिर हम जब इन लोगों पर जो हमारे घर में अन्दर तक घुस कर हमारे जीवन में दखल दे रहे हैं पर हमला कर बैठे तो हमारे लिए सरकारें शिकारी भेज देती हैं……….हमने ये सुना था की इंसान जिसका नमक खाता है उसका हो जाता है….. शायद इसी लिए हम जानवर नमक नहीं खाते ……….. पर ये सरकारें जिन बाघों को बचाने के लिये प्रोजेक्ट टाइगर के नाम पर दुनिया भर से मिलने वाले फंड खा रही हैं उनही पर गोलियां चला रही है………… और सबसे दुखद बात ये है की इस पूरी कहानी मे हमारे साथ कोई खड़ा नहीं है………
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बहुत आदमी देखें इस जंगल मे हमने……….
पर भरे शहरों मे भी कोई इंसान नहीं देखा……..
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क्या हम इसी तरह मौत के जिम्मेदार हैं……… क्या हमारे लिए यही एक उपाय है…… हमें कोई दर्द नही है ऐसी मौत का ……….
हमें दर्द है तो उस खेल से जो हमारे नाम पर खेला जा रहा है…….. हम चाहते है की सरकारें पूरे देश मे हर जंगल मे शिकारी तैनात कर दें…….. ओर आदेश दें की एक माह मे सारे बाघ मार दिये जाए……….. कम से कम हमारे संरक्षण के नाम पर आम जनता का जो पैसा यूं ही उड़ाया जा रहा है वो उसके काम तो आ जाए………. भले हमारी खाल विदेशों मे बेच दी जाए पर कम से कम उस पैसे को देश के लिए प्रयोग तो किया जाए……….
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अब कुछ शब्द पियूष जी भी कह लें…… उनके दो दिन बर्बाद हुए हैं मेरे कारण……….
अपने अंतिम कगार पर पहुंचा एक दिलेर ……………. भारतीय बाघ………..
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आज एक चित्र देखा जोकि लेख के अंत में लगा है……..
इस चित्र मे एक बाघ जिसको मार कर उसके हाथों को बांध कर रखा था…… जिसको देख कर यूं लग रहा था मानो वो दोनो हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रहा हो की प्लीज़ मुझे बचा लो……. इस चित्र को देख कर आँखें कुछ नम सी हो गयी …… ये वो जानवर है जिसके हाथों मौत भी मैं सौभाग्य मानता हूँ……… इस शानदार जीव को हक है इसका……….. पर इसकी ये दशा ……….. क्या किसी के गुण आपके नाश का कारण होने चाहिए…….
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आखिर जंगलों मे घर बनाने वालों के लिए बाघ को मारा जाना कहाँ तक उचित है……….. जो लोग भारत पाक सीमा पर घर बना लेते हैं……… क्या उनपर गोली बारी होने पर पाकिस्तानी सैनिकों को उनकी सीमा मे जा कर मारा जाता है …….. या उन सरहद पर रहने वालों को वहाँ से हटा दिया जाता है…….. पर क्योकि वहाँ जवाब देने के लिए एक शक्तिशाली दुश्मन है……….. इस लिए जनता को हटाया जाता है ……….. और यहाँ एक प्राणी जोकि आधुनिक शक्ति से सुसज्जित मानव के समक्ष कमज़ोर है को ही मिटा दिया जाता है……..
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अगर इनको मिटाना ही समस्या का हल है तो क्यों नहीं सारे के सारे बाघों को एक साथ मार दिया जाता…….. क्यों प्रोजेक्ट टाइगर जैसे प्रोजेक्टों पर पैसे खर्चे जा रहे हैं……….. जब इनको गोली से मारने के लिए वन विभाग ही आदेश दे रहा है………
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कुछ ब्लोगर मित्रों ने राय दी थी की क्योकि ये वन्य जीवों से प्रेम पर लेख है तो इसे भी कांटेस्ट में शामिल करूँ……. पर मैं ये नहीं कर सकता क्यूंकि यहाँ प्रेम पर केवल बाते होती है …….. और इस गंभीर विषय को कांटेस्ट से जोड़कर इसके मूल स्वरूप को मैं छेड़ना नहीं चाहता था……….

Help

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ये जीव हमसे सहायता की गुहार कर रहा है………. आइये कुछ समाधान का प्रयास करें………

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