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वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट और JJ की मुश्किल………

परिवर्तन की ओर.......
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एक लंबे (14 दिनों के) इंतज़ार के बाद आखिरकार वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट भी निपट ही गया….. कुल मिलकर इस दौरान मंच पर एक मिश्रित माहौल देखा गया……. सभी खुद को प्रेम से परिपूर्ण प्रदर्शित करने के प्रयास कर रहे थे……… प्रेम पर लगभग सभी ने कुछ न कुछ सकारात्मक / नकारात्मक लिखा …… पर कुछ लोग इस प्रतियोगिता से दूर भी रहे…. जिनमे से कई ऐसे भी थे जिनसे कई उम्मीदें थी…… कई बार ऐसा भी हुआ की लेखों मे प्रेम की बारिश करने वाले कुछ लोग प्रतिक्रिया या प्रतिक्रिया का उत्तर देते हुए कुछ कठोर हो रहे थे………. तो एक भ्रम होने लगता था की क्या उनका ये प्रेम केवल उनके लेखों मे लिखे शब्दों मे ही है……. हृदय मे नहीं…. अन्यथा अपने लेख मे शब्द कुछ और, और दूसरे की प्रतिक्रियाओं मे कुछ और शब्द कैसे…… शायद कई लोग इस लेख को पढ़ने के बाद मेरे लेखों मे आई प्रतिक्रियाओं मे खोजने लगें की आखिर इशारा किसकी ओर है……..
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इस प्रतियोगिता के आयोजन से कोई सबसे अधिक मुसीबत मे है तो वो है जागरण जंक्शन ….. क्योकि इस प्रतियोगिता का परिणाम उसके लिए एक परीक्षा है…… एक ही सवाल सभी ब्लोगेर्स के मन मे ही की आखिर एक अग्रणी समाचार पत्र समूह का ये अंग (जागरण जंक्शन) किस आधार पर विजेता का चयन करता है……. यूं ही वो प्रतियोगिता के नियमों को लेकर प्रतिभागियों को भ्रमित कर चुका है ….. कभी अंत मे वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट / Valentine Contest जोड़ने की बात कही तो फिर आधे मे ही नियम बदल कर केवल अँग्रेजी मे Valentine Contest को मान्य किया गया……….
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कुछ लोग इस बदलाव से नाराज भी थे… पर मैं JJ के समर्थन मे था…. भाई जब पर्व अंग्रेजों का इसको आपके द्वारा मनाने का पसंदीदा तरीका भी अंग्रेज़ो का तो कॉन्टेस्ट हिन्दी मे क्यों……. कम से कम इस एक दिन सभी तथाकथित प्रेमी भले ही वो किसी भी विचारधारा के हों…….. किन्तु वेलेंटाइन डे के विदेशी स्वरूप के समर्थक हों……. तो वो कॉंग्रेस के हिन्दू संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित करने के अभियान मे उसका समर्थन करने को तैयार रहते हैं….. ये तो कॉंग्रेस का लचर नेतृत्व है अन्यथा उसने 6 फरवरी से ही इन संगठनो को आतंकवादी संगठन घोषित करने की वकालत करनी थी…….. तो न जाने कितने युवा प्रेमी उसके समर्थन मे आ जाते………इन पर प्रतिबंध से ही तो उन प्रेमियों का वेलेंटाइन डे सफल बनेगा……… वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट पर जंक्शन ने कहा था……..
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प्रेम का त्यौहार वैलेंटाइन डे पास आ रहा है. जिंदगी में प्यार के रंग की अहमियत से कौन इंकार कर सकता है. प्रेम एक प्रार्थना है, प्रेम एक पूजा है, प्रेम एक ईश्वरीय उपहार है जिसे हर कोई अपने दिल में जगह देना चाहता है. इस अवसर की महत्ता को देखते हुए जागरण जंक्शन एक विशेष कॉंटेस्ट “वैलेंटाइन किंग एंड क्वीन” का आयोजन कर रहा है जो पूरी तरह से प्रेम के प्रति समर्पित है.
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इसके लिए बस आपको प्रेम के प्रति अपनी भावनाओं, अपने प्यार के संस्मरणों और प्यार के विषय में अपने विचारों को ब्लॉग के रूप में पोस्ट कर देना है. प्यार आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है, प्यार आपके जीवन में क्या स्थान रखता है या प्यार इंसान के लिए कितना जरूरी है?……. ये सब आप अपने ब्लॉग में लिख सकते हैं.
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यहाँ स्पष्ट हो रहा है की प्रेम के क्या मायने है आपकी नज़र मे वो आपको लिखना है….. पर चित्र भटका देता है……. वहाँ यूं प्रतीत होता है की दो प्रेमी युगल इस दुनिया से दूर कहीं जाना चाहते हैं…. जहां बस प्रेम ही प्रेम हो……… कल्पनाओं की कोई दुनिया सी जगह………… अब यहाँ से JJ कुछ शंका पैदा कर देता है……. और कुछ बुद्धिमान ब्लॉगर भी इस भय से की कहीं यहाँ माता पिता के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति अस्वीकार न कर दी जाए……. वो प्रेमी प्रेमिका की चर्चा पर उतर आते हैं…..
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अब यहाँ हम जैसे कुछ लोग जो इस छूत की बीमारी (प्रेम) से अछूते रह गए…… और इसी लिए सामाजिक तौर पर पुरानी पीढ़ी के वर्ग मे गिने जाने लगे…… उनके लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है…….. अब एक तो ये तरीका है की अपने मित्रों के प्रेम प्रसंगों को अपने नाम से सुनाकर खुद को अंतराष्ट्रीय स्तर का प्रेमी बता दिया जाए…… कौन सा कोई सार्टिफिकेट जमा करना था……. की मैंने 6 माह या 1 वर्ष सफलतापूर्वक प्रेम किया है……. या दूसरे तरीके मे केवल ये सफाई दी जा सकती है की हमने ये इस लिए नहीं किया की क्योंकि जिस स्तर के हम प्रेमी है वो तो प्रेम तो द्वापर मे भगवान श्री कृष्ण के साथ ही खत्म हो गया……

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और जिस स्तर के हमारे मित्रों के प्रेम प्रसंग थे उसको नजर मे रखते हुए मुझे ……. दूसरा मार्ग ही ठीक लगा…… और हम उसी पर चल पड़े…….. यहाँ कई लेख शिवसेना, बजरंग दल, और अन्य संगठनो द्वारा किये जाने वाले वार्षिक विरोध के लिए भी थे……. उनका विरोध जायज भी है…… आखिर एक संवैधानिक राष्ट्र मे इन्हे कौन अधिकार देता है इस विरोध का ……… ये श्री कृष्ण के भक्त जब कृष्ण लीला का अनुभव उनही पार्कों मे करते हैं जो उनके माँ बाप के द्वारा भरे टैक्स से बने हैं…….. या जिन होटलों के कमरों मे वो प्रेम का पर्व मानते हैं उनका पैसा वो खुद भरते हैं…….. अब प्रेम के प्रतीक आगरे के ताजमहल के किसी कोने मे प्रेमी प्रेमिका किसी प्रेम मुद्रा मे हों तो इसमे आपत्ति क्या ओर क्यों…….. जिस का प्रतीक ये ताजमहल है वही तो वो भी कर रहे हैं…….

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अब JJ के सामने मुसीबत ये है की यदि वो किसी ऐसे लेख को विजेता चुनता है जिसने हिन्दू संगठनो का विरोध किया है तो फिर उसपर विदेशी परंपरा के वाहक होने का आरोप लगाया जा सकता है…… एक तो पहले ही टाइटिल को हिन्दी से इंग्लिश करवाया जा चुका है…….. यदि किसी ऐसी प्रेम कथा को जो पहली नज़र के प्रेम पर आधारित हो चुना जाए तो भी JJ का संकट ये भी है की क्या वो ऐसे आकर्षण को भी प्रेम मानता है………. अब JJ की मुसीबत ये है की वो आखिर प्रेम किसे माने …….

क्योकि कई ब्लॉगर बंधुओं के  इस प्रतियोगिता से दूर रहने का कारण यही था की ये प्रतियोगिता प्रेम पर न होकर प्रेम के विदेशी स्वरूप वेलेंटाइन डे पर थी…….. पर उनके लिए भी एक प्रश्न बनता है की क्या देश के प्रति उनके भाव, अपने संस्कारों के प्रति उनके भाव, अपने माता पिता के प्रति उनके भाव प्रेम से भरे नहीं है……. देश के प्रति प्रेम, अपने संस्कारों के प्रति प्रेम माता पिता संतान के प्रति प्रेम अगर उनकी दृष्टि मे श्रेष्ठ था तो उनको उस प्रेम के रूप को मंच पर प्रस्तुत करना था…….. बाकी JJ पर छोड़ देना था…..

फिर ये JJ का दायित्व था की वो उन राष्ट्रप्रेमियों के प्रेम को अधिमान देता है….. या फिर उनको जो प्रेम के लिए केवल एक लड़की या लड़के के होने की अनिवार्यता रखते हैं…… जो प्रेम के लिए माता पिता से अधिक एक प्रेमिका की आवश्यकता बताते हैं…….. जो वो प्रेम का पाठ पढ़ते हैं जो आजकल 5वीं से शुरू होकर हर साल क्लास और उस क्लास के सेलेबस बदलने के साथ बदलता जा रहा है……. तब JJ पर निश्चित रूप से ये प्रश्न उठाए जा सकते थे ……. की आखिर ये मंच प्रेम का कौनसा रूप लोगों को दिखा रहा है……. अब गेंद JJ के पाले मे है……… इस दौरान फीचर्ड ब्लोगस को लेकर भी JJ की प्रतिष्ठा धूमिल हो चुकी है… कई ब्लॉग यूँ ही फीचर्ड हो गए और कई बेहतरीन ब्लॉग JJ की नजर से चूक गए (इनमे से कुछ का उल्लेख मैं अगले अंक में करूँगा)………… कई लोग इस बात से परेशान थे की उनके पास उनका ब्लॉग फीचर्ड होने की मेल तो आ रही है पर पोस्ट दिखाई नहीं देता…….. पर मेरे साथ तो ये अक्सर हुआ है तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ा……. वैसे भी JJ अपनी निष्पक्ष छवि के मामले में संदेह के घरे में ही रहा है……….. यहाँ कई लोग JJ की लगातार उपेक्षा का शिकार हैं……… और वो यहाँ टिके भी हैं तो यहाँ के बाकि ब्लोगरों के प्रेम के कारण……. तो अब JJ की हालत अपनी जमानत बचाने की है…… की अब उसने इस प्रतियोगिता के द्वारा ओखली मे सर दे दिया है ………… अब देखें कितने मूसल पड़ते हैं……. और क्या JJ इस बार अपनी साख बचा पाता भी है की नहीं …….
अभी का सबसे बड़ा प्रश्न यही है……

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