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संता का पत्र रजनीकांत को………..

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
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परम आदरणीय ……. रजनीकान्त भाई…….

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मैं संता सिंह आपको हार्दिक धन्यवाद कहना चाहता हूँ……. ये पत्र केवल मेरी ओर से नहीं अपितु सारे सिक्ख समाज की ओर से है…… इस पत्र के माध्यम से हम सभी आपके शतायु होने की प्रार्थना करते हैं……… यूं तो दक्षिण मे आप पहले ही भगवान की तरह पूजे जाते हो……. पर हम आपको भगवान तो नहीं कहेंगे….. पर रियल हीरो जरूर कहना चाहते हैं…..

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जिस तरह हीरो फिल्म मे किसी के दुखों को अपने सर ले लेता हैं…… कुछ उसी तरह आपने हम पर बनने वाले सभी चुटकुलों को अपने ऊपर ले लिया……… आज जहां देखो आप ही आप छाये हो……… हमने कई बार अपने पर बने चुटकुलों से लोगों को हँसाया…….. जरा आप भी उनपर नजर डालें……….

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इंटरव्यू मे संता से पूछा गया की कल्पना करो की आप किसी बंद कमरे मे हो ओर तभी कमरे मे आग लग जाती है तो आप क्या करोगे……
संता : मैं कल्पना करना बंद कर दूंगा………

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संता: टाईम क्या हुआ है?
बंता: दो बजे हैं!
संता: तेरी घड़ी रेडियो से मिली हुई है न?
बंता: नहीं, ससुराल से!

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संता: मैं कभी कभी सोचता हूँ कि मैं अपनी जान दे दूँ!
बंता: फिर देते क्यों नहीं?
संता: फिर सोचता हूँ, भारत में सिर्फ 1410 ही टाइगर बचेंगे!

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संता और बंता शतरंज खेल रहे हैं!
संता: चल यार अब बंद करते हैं!
बंता: हाँ ठीक है! वैसे भी मेरा एक हाथी और आपका एक घोड़ा ही तो बचा है!

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संता: यार बहुत मुश्किल है टीचर से प्यार करना!
बंता: क्यों?
संता: लव लैटर भेजा था असाइन्मन्ट समझ कर चेक कर दिया, और बोली अपनी लिखाई सुधारों!

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संता (पुलिस स्टेशन में): ये फोटो किसकी हैं?
पुलिस: यह मुजरिमों की है जिनको अर्रेस्ट करना हैं!
संता: जब फोटो ली थी तब अर्रेस्ट कर लेना था न!

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बंता: आप आफिस से कभी छुट्टी क्यों नहीं लेते? क्या आपका आफिस आपके बिना चल नहीं सकता?
संता: नहीं आसानी से चल सकता है! पर छुट्टी लेकर मैं उन्हें इस बात का अहसास नहीं कराना चाहता!

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संता: एक आदमी गंजा है फिर भी रोज सलून जाता है!
बंता: क्यों?
संता: क्योंकि सलून उसका है!

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बंता: अगर नींद ना आये तो क्या किया जाये?
संता: नींद का इंतज़ार करने से बेहतर है कि बन्दा सो ही जाये!

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बंता: एक लड़की मुझे हंस कर देख रही है!
संता: अरे ध्यान से देख, हंस के देख रही है या देख कर हंस रही है!

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अब जरा इन जोक्स पर गौर करें जोकि आपके लिए बनाये गए हैं……….

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रुपए का जो नया चिन्ह है वो वास्तव मे रजनीकान्त का सिग्नेचर है……

एक बार रजनीकान्त ने एक एकड़ का खेत खरीदा ओर उसके चार कोनो पर कुएं खुदवाए ….. अब रजनीकान्त वहाँ कैरम खेलता है………

रजनीकान्त ने एक बार कैट का एक्जाम दिया ओर गोले काले करते हुए उसकी पेंसिल तू गयी….. तभी से कैट एक्जाम ऑनलाइन कर दिया गया….

रजनीकान्त अपने मोबाइल से अपने मोबाइल पर ही कॉल कर सकता है…

रजनीकान्त के आत्मकथा जिसमे उसने अपने कारनामे लिखे उसको ही गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकोर्ड्स के नाम से जाना जाता है……

रजनीकान्त ने फ़ेसबुक को रजनीकान्तबुक की फ्रेंड लिस्ट मे जोड़ा……

इंटेल का नया स्लोगन रजनीकान्त इन साइड……

गजनी का आमिर 5 मिनट मे सब भूल जाता है उसे बस याद रहता है तो रजनी (कान्त)…….

एक बार रजनीकान्त KBC मे हॉट सीट पर बैठा और उस दिन कम्प्युटर को क्वेस्चन सिलैक्ट करने के लिए लाइफलाइन लेनी पड़ी……….

केवल रजनीकान्त ही अपनी आंखे खुली रख कर छींक सकता है………

जब से रजनी कान्त पर SMS लोगों के मोबाइल पर आने शुरू हुए हैं……. उनको बैटरी चार्ज करने की जरूरत ही नहीं पड़ती………

संता ने वेलेंटाइन कॉन्टेस्ट मे प्रेम पर लिखते समय एक लेख मे केवल एक लाइन मे लिखा की आदरणीय रजनीकान्त के अनुसार प्रेम कोरी बकवास है… ओर कुछ नहीं….. और वो प्रतियोगिता जीत गया……..

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ये कुछ उदाहरण है जो बताते हैं की यदि किस तरह चुट्कुले मेरे लिए भी बने ओर आपके लिए भी……. मुझ पर बने जोक्स ने मुझे एक मूर्ख आदमी का खिताब दिया है……. ओर आपको एक महामानव बना दिया है……… आखिर ये हुआ कैसे…… इसकी कहानी का एक भाग तो आप जानते ही हैं…….. अर्थात आप इतना तो जानते ही हैं की क्यों आप पर इस तरह के जोक्स बने……. आपकी फिल्म रोबोट के बाद……..

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अब आप एक फिल्म मे काम करते हैं तो महानायक बना दिये जाते हैं……. और हम जान देकर भी एक मज़ाक से ऊपर नहीं उठ पाते …….
हमारे ऊपर जोक्स बनने की कहानी कुछ इस तरह है…… आजादी के समय क्रांति का सबसे बड़ा केंद्र पंजाब था…… सिक्खों ने न जाने कितनी कुर्बानियाँ दी देश की खातिर… देश के कोने कोने मे मेरे सिक्ख भाईयों ने जा जाकर क्रांति की मशालें जलाईं ….. तब सिक्खों के बढ़ते प्रभाव को देख कर अंग्रेजों ने सिक्खों पर चुट्कुले बनाकर उनको प्रचारित करना प्रारम्भ कर दिया …….. ताकि लोगों मे सिक्खों को लेकर एक व्यंग का भाव उत्पन्न हो …… और उनकी कही क्रांति की बातें भी लोग मज़ाक मे उड़ा दें…….

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फिर देश आजाद हुआ….. ओर सभी जानते है की सिक्खों ने इसमे कितना योगदान दिया…….. पर आजादी के हीरो होने के बाद भी …… जनता के चुटकुलों से हम हट ही नहीं पाये…….. हमको अभी भी मूर्ख ही दिखाया गया…… फिर भी हमने ये सोच कर की किसी भी तरह किसी को हसना भी एक पुण्य का ही काम तो है…… और फिर चुटकुलों मे तो हसाने के लिए मूर्ख तो बनना ही पड़ता है…… फिर आपकी एक महान फिल्म रोबोट आई…….. ओर हम पर बनने वाले चुटकुलों की जगह आपके सुपर नेचुरल जोक्स ने ले ली…… हमे थोड़ा सा राहत तो मिली पर एक प्रश्न भी मन मे उठा…….की यदि किसी को हीरो बनाने का प्रयास किया जाए तो जोक्स भी उसके अनुसार बनाए जा सकते हैं…… आपके ऊपर हज़ार से ज्यादा जोक्स बना दिये गए हैं….. और सभी आपको (रजनीकान्त को) महानायक साबित कर रहे हैं…. आपके लिए आपके प्रसंसक इस तरह के रोचक जोक्स बनाते हैं…… तो एक प्रश्न उठता है…..की आखिर क्यों पर्दे पर किसी के लिए लड़ने वाले नायक को जोक्स मे भी महानायक बना दिया जाता है….. और वास्तविक जीवन मे लड़ने वाले हम नायकों को एक व्यंग बना कर हंसा जाता है….. क्या कुर्बानियों और कहानिओं में कोई फर्क नहीं होता……….. क्या फिल्मो की कहानियों के नायक सच्ची कुर्बानियां देने वाले नायकों से बड़े हैं……

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आपका आभारी …………

कई शहीद सिक्ख क्रांतिकारियों के सम्मान का आकांक्षी……

संता सिंह……….

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