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आँखों देखि कानो सुनी सब झूठी… (एक मार्मिक कथा)

परिवर्तन की ओर.......
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इससे पूर्व भी मैं एक कहानी मासूम को सजा पोस्ट कर चूका हूँ. जैसे ये कहानी मुझे मिली वैसे ही एक और कहानी आज और मुझे मिली जो मैं आप सब के साथ बांटना चाहता हूँ………

वास्तव में चाहे कहानी मासूम को सजा हो या ये कहानी इनका एक मात्र लक्ष्य कुछ बातों को सामने रखना है जिनको हम छोटी बात सोच कर टाल देतें हैं…

एक ट्रेन में एक महिला, पुरुष और उनका लगभग 24 -25 साल का लड़का बैठे थे…. वो लड़का खिड़की की और बैठा था…. हर किसी चीज़ को देखने का उस लड़के का नजरिया कुछ और ही था वो हर चीज़ को ऐसे घूर रहा था जैसे कभी उसने उन्हें या उस तरह की कोई चीज़ देखी ही ना हो…..
थोड़ी देर बाद उस परिवार के सामने वाली सीट पर एक नवयुवक व एक नवयुवती आकर बैठ गए . दोनों आपस में कुछ बात कर रहे थे ……. तभी उनकी नज़र उस लड़के पर पड़ी ……. उस लड़के की हरकतें उनको बड़ी अजीब सी लगी ……… पर वो कुछ बोले नहीं……..

फिर थोड़ी देर में ही ट्रेन चल पड़ी…. अब वो लड़का चिल्लाने लगा माँ वो देखो खम्भा चलने लगा है…… वो फिर चिल्लाया माँ वो पेड़ चल रहे हैं………. ये सुनकर उसकी माँ कहती हां बेटा तुने ठीक कहा………… सामने बैठे नवयुवक को बड़ा गुस्सा आया की ये लड़का किस तरह की मुर्खता भरी बातें कर रहा है. और उसकी माँ उसको समझाने के स्थान पर उसको और बढ़ावा दे रही हैं…….. पर नवयुवती द्वारा रोके जाने पर वो नवयुवक शांत बैठा रहा……..
तभी लड़का फिर जोर जोर से चिल्लाया वो देखो बादल वो भी अब चलने लगा…….. है न माँ…….. और उसकी माँ बोली हां बेटा तुने ठीक कहा……… और वो लड़का जोर जोर से हसने लगा………
अब उस नवयुवक से चुप न रहा गया……….. वो उस महिला से बोले आपका बेटा उतनी देर से मुर्खता पूर्ण हरकतें कर रहा है और आप उसको समझाने के स्थान पर उसकी इन मूर्खतापूर्ण हरकतों पर उसका साथ दे रही है. मुझे लगता है की आपका बेटा मानसिक रूप से बीमार है और आपको किसी अच्छे डॉक्टर से उसका इलाज करना चाहिए.
अब तक चुपचाप बैठे ये सब देख रहा उस लड़के का पिता बोला………… तुमने बिलकुल ठीक कहा …….. ये सब डॉक्टर के कारन ही हुआ है………… हम डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं ……….. मेरा ये बेटा जन्म से देखने में असमर्थ था. आज इसका ऑपरेशन हुआ और हम अब इसको घर ले जा रहे है….. ये सब जिनको देखकर ये इस प्रकार की प्रतिक्रिया दे रहा है.. वो इसलिए क्योकि वास्तव में ये उनको पहली बार देख रहा है….. आज पहली बार इसने देखा की पेड़ होता कैसा है…… बादल क्या हैं ……. और फिर जैसे ही ट्रेन चली तो इसको वो हर चीज़ भागती लगी तो इसमें इसके मानसिक रूप से कमजोर होने का कोई प्रश्न ही नहीं है……………
अब उस नवयुवक की आँखों में पानी था….उसका सर झुक गया था …………. उसके होंठ कंपकपा रहे थे.. जैसे वो कुछ कहना चाहता हो पर उसको शब्द नहीं मिल पा रहे हों………..
ग्लानी से भरा वो युवक जब अपने गंतव्य पर उतरने लगा तो उसने पैर छूकर उस महिला और पुरुष से माफ़ी मांगी और बोला की आज मेरी समझ में एक बात आ गयी………

कि कई बार आँखों देखी और कानो सुनी बात भी गलत हो सकती है………….
और किसी भी घटना को देखकर उसपर अपनी राय बनाना गलत है……………

यही दो सन्देश मैं आपकी और से सभी को देना चाहता हूँ ………… मैं चाहता हूँ आप इस कहानी को सुना कर ये सन्देश सभी को दें…… और मासूम को सजा कहानी सुना कर रफ़्तार को पसंद करने वाले बच्चों को उस रफ़्तार के कारण लोगो के जीवन पर होने वाले बुरे असर का सन्देश दें…….

धन्यवाद………………..
आपके अमूल्य राय के इंतजार में …………..
पियूष कुमार पन्त………………………………..

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