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गांधी के बंदर बन जाओ…

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
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वर्तमान कॉंग्रेस सरकार गांधीवाद को इस स्तर पर लाने के लिए प्रयासरत है…. सरकार का कहना है की अगर आप गांधी के बंदर बन कर न बुरा देखो…. न बुरा कहो… और न बुरा सुनो…… (भ्रष्टाचार होते हुए देखो पर अनदेखा कर दो…. भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ न उठाओ… और अगर कोई उठा रहा है तो उसको अनसुना कर दो… )
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यदि आप गांधी जी के इन नियमों का पालन करते हैं तो आप जो कुछ करें वो ठीक है……. अन्यथा आप बख्शे नहीं जाएंगे…..
बाबा रामदेव ने आवाज़ उठाई तो बालकृष्ण जी जो की पूर्व मे सरकार की नज़र मे सम्मानित थे अचानक वो अपराधी हो गए…….. सरकार ने राशन कार्ड से लेकर पासपोर्ट तक सब खंगाल दिये की कहीं कुछ गलत पाया जाए…….. और फिर जो कुछ भी हुआ वो सामने है…… फिर अन्ना हज़ारे ने एक बुलंद आवाज़ खड़ी करने का ऐलान किया… और अन्ना के वर्षों पुराने रिकॉर्ड खंगाले गए…… कुछ गलतियाँ पाई गई……. और उनको आधार बना कर मनीष तिवारी ने कहा की……
”तुम किस मुंह से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अनशन की बात करते हो. ऊपर से नीचे तक तुम भ्रष्‍टाचार में खुद लिप्‍त हो.”
मनीष जी ने इस बयान के द्वारा ये जताने की कोशिश कि “तू मुझे खुजा मैं तुझे खुजाऊँ”……. यानि तू भी खा और मैं भी खाऊँ ओर दोनो चुप रहें……. (गांधी का बंदर बनकर रहो और मजे करो….)
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फिर आगे मनीष तिवारी कहते हैं कि “अन्‍ना के लोगों पर फिरौती, ब्‍लैकमेलिंग, जबरन वसूली और दूसरों की संपत्ति पर कब्‍जा करने के आरोप हैं “
तो मनीष जी सरकार क्या कर रही है……. की फिरौती, ब्‍लैकमेलिंग, जबरन वसूली और दूसरों की संपत्ति पर कब्‍जा करने वाले खुले घूम रहे हैं…….. ओर सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं….
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इसका मतलब ये है कि ये तब तक अपराध नहीं है जब तक आप सरकार के कृत्यों की और इशारा न करो……..
अन्‍ना द्वारा मनमोहन सिंह पर की टिप्‍पणी किस मुंह से झंडा फहराएंगे मनमोहन का जबाब देते हुए कांग्रेस प्रवक्‍ता मनीष तिवारी ने कहा कि अन्‍ना हजारे शिष्‍टता की सारी हदें पार कर चुके हैं। उन्‍होंने न सिर्फ मनमोहन सिंह बल्कि तिरंगे का भी अपमान किया है.
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मनीष तिवारी को समझना होगा की ये केवल एक कमजोर प्रधानमंत्री का अपमान है. जो कश्मीर मे पाकिस्तानी झंडे तो लहराने देते हैं पर लाल चौक पर झण्डा फहराने पर रोक लगाते हैं… और भूल जाते हैं की इस देश के किसी भी स्थान पर भारतीय झण्डा फहराने से रोकना भी झण्डे का अपमान है…… कोई भारतीय क्षेत्र ऐसा नहीं जहां ये ध्वज फहराया न जा सकता हो…..
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अन्ना ने एक ऐसे प्रधानमंत्री पर टिप्पणी की है जो बालकृष्ण के विदेशी मूल को तो मुद्दा बनाते हैं. और सोनिया गांधी के मुद्दे पर चुप्पी साध जाते है…. जो बालकृष्ण के पासपार्ट पर तो जांच करते हैं पर ये कभी नहीं बताते हैं की राहुल गांधी के पासपोर्ट मे उनका क्या नाम है…. और किस आधार पर है….. यदि जांच करनी ही है तो पहले रौल विन्ची के पासपोर्ट की जांच करो| डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने यह सिद्ध कर दिया है कि विन्ची के पास इतालवी पासपोर्ट है, भारतीय नहीं| अर्थात वह भारतीय नागरिक नहीं, इटली का नागरिक है| यहाँ तक कि उस पर उसका नाम राहुल गांधी नहीं अपितु रौल विन्ची लिखा है| फिर किस अधिकार से उसे भारत का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर रखा है?
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यदि डिग्रियों की जांच करनी है तो पहले विन्ची की डिग्रियों की जांच की जाए| जो आदमी पांच विश्वविद्यालयों में पढ़कर भी आज तक B.A. पास न कर सका, किस अधिकार से स्वयं को M.Phil. कहता है? और किस अधिकार से उसे भारत का भावी प्रधान मंत्री घोषित कर रखा है?
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और इसी तरह असम के कांग्रेस के सांसद एम्. के. सुब्बा राव के पासपोर्ट की जांच भी करवा ली जाए| सुब्बा राव की नागरिकता पर सी बी आई चार्ज शीट तक दायर कर चुकी है| आचार्य के मामले में सी बी आई ने उनके भारतीय नागरिक होने पर कोई सवाल नहीं उठाया था, केवल पासपोर्ट कार्यालय में जमा किये गए दस्तावेजों पर ही जांच की मांग की है| किन्तु सुब्बा राव के विरुद्ध तो सी बी आई ने उनकी नागरिकता पर सवाल उठाते हुए मामला दर्ज किया था| फिर क्या कारण है कि सुब्बा राव की जांच में एक दशक से भी अधिक का समय लग गया और आचार्य बालकृष्ण के मामले में इतनी जल्दबाजी की जा रही है? सुब्बार राव आज भी आसानी से भारत में अपना व्यापार चला रहा है और पूर्व सांसद होने के सुख भी भोग रहा है|
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और भी विस्तृत जानकारी के लिए इस लिंक पर पढ़ें…….. यहाँ बहुत कुछ है जो आपको शायद झकझोर दे……
http://diwasgaur.com/2011/07/blog-post_30.html
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केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को एक सख्त भ्रष्टाचार निरोधी विधेयक के लिए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की मांग को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि वह इस मुद्दे पर आमरण अनशन के लिए नहीं जा सकते।
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अफसोस की बात तो ये है की जब लाल चौक मे तिरंगा फहराने की बात की गई थी…………. तो उसे रोकने के लिए प्रणव जी ने उसे रोकने को असंवैधानिक नहीं कहा…. जमीयत उलमा-ए-हिन्द द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने शिक्षा का अधिकार कानून के मदरसों पर पड़ने वाले असर के बारे में आशंका जताए जाने पर आश्वासन दिया था कि ऐसी शिक्षण संस्थाओं को इस कानून के दायरे से बाहर रखा जाएगा…. पूरी खबर के लिए पढ़ें… (http://newslivenow.tv/your-articals/darulaulumabhiuthaegasiksakaadhikarakanunakekhilaphaavaja) तब किसी मंत्री ने नहीं कहा की ये असंवैधानिक है….. सरकार को ये स्पष्ट करना चाहिए की ये किस संविधान को मानते हैं……..
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अंबिका सोनी ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ईमानदार, सत्यवादी, सज्जन हैं। आगे अंबिका सोनी ने कहा कि अन्ना आप 79 साल के हो चुके हैं। आपको बहुत कुछ मिल चुका है। अब आपको क्या चाहिए।
यही सवाल प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी पूछें की आपको क्या चाहिए.
जब आप कोई निर्णय स्वयं नहीं ले पाते हैं. जब महंगाई के लिए आप ज्योतिष को पूछते हैं. तो आप पीएम क्यों हैं. आप आखिर देश से चाहते क्या है.
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एक प्रधानमंत्री जो विदेशी आतंकवादी को भी दामाद की तरह रखता है….. जो सीमा पर जवानो को एक तरफा शांति के लिए मरने देता है…. जो चीन को अपनी सीमा मे घुसपैठ का मौका देता है….. वो शांति का नोबल जीत सकता हैं. तो क्या आप नोबल के लिए इस देश को गर्त मे ले जा रहे हैं………
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‎26 जनवरी 1930 से हम 1947 तक 26 जनवरी को स्वतन्त्रता दिवस मनाते थे. फिर 15 अगस्त 1947 को हमें अंग्रेजों से मुक्ति मिली ओर हमने 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस व 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस के रूप मे मनाने लगे. जिस तरह 26 जनवरी को मनाया जाने वाला स्वतन्त्रता दिवस केवल सांकेतिक था उसी तरह 15 अगस्त भी सांकेतिक ही है. आज भी हम आज़ाद नहीं है.
अंग्रेज़ चले गए हैं पर हम गुलामी से अभी भी आज़ाद नहीं है.
तब सफ़ेद चमड़ी वाले लोगों के गुलाम थे ओर अब सफ़ेद खादी पहनने वालों के.
कानून तब भी थोपे थे और अब भी.
अंग्रेज़ो के समय भी खिलाफत करने वालों का दमन किया जाता था …..
और आज भी किया जा रहा है…….
फिर आज़ादी कैसी……….

तब व्यापार के नाम पर देश चलाने लगे थे………….
और आज देश चलाने के नाम पर व्यापार चलाये जा रहे हैं……..

अब निर्णायक जंग जरूरी हैं……….
इस तरह के सवाल इस मंच पर उठाना कुछ ठीक नहीं लग रहा है क्योकि यहाँ इस मंच पर पहले ही बार-बार लगातार अनियमितताओं के खिलाफ आवाज़ उठाई जा रही है…… पर इस मंच ने निराश ही किया है…….. इसका उदहारण एक तमन्ना जी का लेख है जो कई दिनो से फीचर्ड ब्लोगस की सूची पर है …… जिज्ञासावश मैंने इस लेख को पूरी तरह से खंगाल कर देखा की कहीं इसमे फैविकोल नाम का शब्द तो नहीं है ………. पर वो भी नहीं मिला…… इस सबके बाद भी मैं यहाँ ये सोच कर लिख रहा हूँ की कभी कभी खोटा सिक्का भी चल जाता है ….. तो शायद यहाँ ही कुछ लोगों पर असर हो जाए…… इसी आशा के साथ…….

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