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ये पोस्ट मेरे द्वारा गत वर्ष प्रकाशित किया जा चुका है….. किन्तु कुछ नया न होने के कारण एक बार फिर इसी को पुनः प्रकाशित कर रहा हूँ…..
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हिंदी एक अदभुद भाषा है………. जितने शब्द इस भाषा में बोले जाते हैं उनसे हर भाषा के शब्द का उच्चारण हो सकता है……….. पर अब इस भाषा का प्रयोग करने का अर्थ ये लगाया जाने लगा है की आप कम पढ़े लिखे है……….
इस मानसिकता के लोग अब तेजी से पनपने लगे हैं…….. जो हिंदी को निम्न दर्जे के लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा मानते हैं…….. इस मानसिकता के लोगों से रूबरू होने का मौका मुझे भी मिला…….
एक बार मैं एक बैंक में गया था, अपने अकाउंट में अपना नाम जो की आधा छपा था उसको बदलवाना था…….. वही रिशेप्शन पर एक लड़की बैठी थी ….. तभी एक सज्जन वहां पर आये और उस लड़की ने पूछा…………
हाउ कैन आई हेल्प यू….
वो सज्जन बोले की………. मैं अपना पता बदलवाना चाहता हूँ……… उसके लिए क्या करना होगा..
अब वो लड़की शुरू हो गयी ….. अंग्रेजी में लगभग 5 – 7 मिनट बोलने के बाद जब वो चुप हुई तो वो सज्जन बोले…… मैं कुछ समझा नहीं…… अच्छा हो आप हिंदी में बोलें………. अब लड़की का चेहरा देखने योग्य था……. उसके उन सज्जन को कुछ यूँ घूरा मानो वो बिना कपड़ों के खड़े हैं………… फिर वो बोली मैं हिंदी में नहीं समझा सकती………….
अब वो सज्जन बोले की तो कोई पढ़ा लिखा हो तो उसको बुला दें ……… मैं उससे पूछ लूँ….. अब वो लड़की झल्ला गयी और बोली आई डोंट नो…. वी ऑल आर इलिटरेट ….
हम बड़े खुश थे की यार एक ऐसा आदमी जिसको अंग्रेजी नहीं आती थी…….. उसने एक अच्छी खासी अंग्रेज लड़की का घमंड तोड़ दिया………अब वो सज्जन बैंक मैनेजर के पास गए……. अब उस लड़की के बाद हमारी बारी थी चौंकने की ……….
अन्दर जाते ही वो सज्जन फर्राटे से अंग्रेजी में बोलने लगे ……….. दरवाजे के पास जहा हम बैठे थे वहां तक आवाज़ आ रही थी……. और गौर से सुनने के लिए दरवाजे के पास खड़ा होना पड़ता…… जोकि मर्यादा सम्मत नहीं था……… तो हम ये तो नहीं सुन पाए की उस आदमी ने मैनेजर से क्या कहा….. पर जैसे ही वो आदमी केबिन से बाहर आया तो वो फिर उस लड़की के पास जाकर बोला ………..
इफ यू डोंट लाइक टू टाक इन हिंदी …….. यू शुड रिमूव दिस बोर्ड फ्रॉम हियर……
और फिर उसने एक बोर्ड की और इशारा किया जिस पर लिखा था ……… हिंदी हमारी राजभाषा है इसका प्रयोग करें…
अब भी लड़की के चेहरे पर कोई पश्चाताप के भाव नहीं थे…….. पर फिर वो सज्जन बोले मैं फ़ौज में कर्नल के पद पर रहा……. हमने हमेशा अंग्रेजी बोली क्योकि तब मज़बूरी थी…… पर वहां भी अनावश्यक नहीं बोली………… कोई पश्चाताप नहीं था………… क्योकि हम उसकी देश की खातिर लड़ रहे थे जहाँ की ये भाषा है…….
और तुम नए लोग इस भाषा को अपमानित कर इस भाषा को ख़तम करने का काम कर रहे हो…………….
न जाने कितनी बार फ़ौज और फौजियों के प्रति मैं नतमस्तक हुआ था……. उनके देश के प्रति किये कार्यों के कारण …………. पर हर बार बीच में उनकी वर्दी थी ……….. पर आज इस अवकाश प्राप्त कर्नल ने साबित कर दिया की फौजी मरते दम तक देश के लिए जीता है……..
और हिंदी बोलने के प्रति हमें और बल मिला………. अब कोई संकोच नहीं की सामने वाला क्या सोचे जब मैं हिंदी बोलूं………..
धन्यवाद …….
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.# यह घटना और इससे जुड़े सभी पात्र काल्पनिक है……. यदि किसी का कोई सबंध किसी वास्तविक घटना से पाया जाता है तो उसे महज संयोग माना जाए… 🙂
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