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ये लेख निश्चित ही लंबा है पर समस्या भी उतनी ही गंभीर है……
आमिर ने अपने प्रोग्राम सत्यमेव जयते से कन्या भ्रूण हत्या को एक नयी बहस दे दी है…. एक सार्थक विषय को आमिर ने समाज के सामने रखा है….. हमारा ये दायित्व है की हम इस बात पर बहस छोड़ कर की इससे आमिर को कितना लाभ हो रहा है…… या स्टार को कितना लाभ हुआ है….. हमें ये सोचना चाहिए की हम इस कार्यक्रम से क्या सबक सीख रहे हैं…… क्या कारण हैं इस कन्या भ्रूण हत्या के पीछे और किस तरह हम इस समस्या के लिए कुछ समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं……….
मैं कभी इस बात का समर्थक नहीं रहा की किसी भी ऐसी बड़ी मुहिम जोकि समाज व देश के हित की हो का विरोध किसी छोटी सी बात के लिए करूँ…… जब अन्ना का आंदोलन चला मैं अन्ना के पक्ष मे था……. जबकि बाबा रामदेव के कई समर्थक अन्ना का विरोध कर रहे थे….. उनमे से कई लोगों का कहना था की अन्ना एनजीओ के नाम पर करोड़ों की कमाई कर रहे हैं…….. और लोकपाल के मुद्दे को राजनैतिक लाभ के लिए प्रयोग कर रहे हैं… तब मेरा स्पष्ट मानना था की मेरे लिए भ्रष्टाचार का विषय महत्वपूर्ण है…. और इस पर सरकार को कोई ठोस कदम उठाना चाहिए और यदि एनजीओ के नाम पर करोड़ों की लूट हो रही है तो सरकार उन पर नकेल कसे… तब मैं सरकार का समर्थन भी उतनी ही शिद्दत से करता जिनती शिद्दत से लोकपाल का…… पर कुछ भी हो सरकार भ्रष्टाचार पर लगाम अवश्य लगाए….
इस बार भी आमिर की इस मुहिम का विरोध करने वालों मे कई बाबा रामदेव के समर्थक ही मिले…. ये बड़ा ही खेद का विषय है….. बाबा रामदेव कभी अन्ना के विरोध मे नहीं आए… अपितु उन्होने अन्ना के समर्थन की बात ही कही….. और आज भी यदि बाबा रामदेव जी का मत पूछा जाए तो वो निश्चित ही आमिर की इस मुहिम को समर्थन की बात कहेंगे……. फिर हम क्यों विरोध करें….. हमारे लिए किसी भी व्यक्ति से बड़ा ये देश होना चाहिए…. अन्ना, बाबा रामदेव, आमिर या किसी भी सामाजिक विषय की बात करने वाले का पूर्व जीवन अधिक महत्वपूर्ण नहीं है… आप की सोच व आपका समर्थन शुद्ध होना चाहिए…… अगर किसी आंदोलन के नेता से आपको एतराज है तो आप खुद उस मुद्दे को अपने स्तर पर उठाएँ….
जब जब इस तरह की घटनाओं के पीछे कुछ प्रमुख बिन्दु जो मुझे स्पष्ट हुए और इसके लिए कुछ समाधान जो मेरे अनुसार होने चाहिए…. इस तरह की घटनाओं के लिए केवल पुरुष ही जिम्मेदार नहीं है अपितु महिलाएं भी इस तरह की घटनाओं के लिए दोषी है…… बेशक ये भी संभव है की मेरी ये बात महिलाओं को पसंद न आए क्योंकि उनसे भी बदलाव की बात की जा रही है……और उनकी आज़ादी पर प्रश्न उठाए जा रहे है…. पर आखिर आज़ादी क्या है…. भारत आज़ाद है तो क्या कोई भी अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकता है ? नहीं… इसके लिए नियम बनाए गए है ताकि स्वतन्त्रता का सकारात्मक उपयोग हो…. .
कन्या भ्रूण हत्या के पीछे जो मुख्य कारण मेरे संज्ञान मे आया वो लड़कियों की शादी मे दिये जाने वाले दहेज से भी बड़ा और महत्वपूर्ण है…… और वो है……. लड़की की ज़िम्मेदारी….
जैसा की सभी जानते हैं की हिंदुस्तान मे नारी को सम्मान का प्रतीक माना जाता है.. हमने अपनी जन्मभूमि को भी नारी रूप मे रखा है. और उसे माँ का स्थान दिया है…… हमारे शास्त्र आदि शक्ति (माँ जगतजननी) की बात करते हैं…
किन्तु वर्तमान समाज मे लड़कियों ने जितनी चर्चा अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए नहीं पायी उससे कहीं अधिक उनकी चर्चा अन्य क्षेत्रों मे हुई है….. लड़कियों ने अपनी एक विशिष्ट शैली बना ली है…. लड़के पहले भी आवारा और नालायक स्वीकार्य थे….. पर लड़कियों से अपेक्षाएँ अधिक रही है….. उन्हें पराया धन माना जाता रहा है…… और किसी और के इस धन की सुरक्षा सदियों से की जाती रही है….. पर वर्तमान मे लड़कियों ने इस सुरक्षा को कमजोर कर दिया है…… शायद कई बार इस लिए भी लोग घबराने लगे हैं……
एमटीवी मे प्रसारित होने वाले एक शो रोड़िज़ ने लड़कियों की एक नई पीढ़ी को समाज के आगे रखा जो गालियां दे तो लड़के भी शर्म से पानी पानी हो जाएँ…. जो माँ बाप के माथे पर चिंता की रेखा खींच दें की अगर ऐसी लड़की हो तो क्या होगा… इस विषय पर लड़कियों को समाजिकता का पाठ पढ़ाया जाता है तो उनका एक सीधा सा उत्तर है…. “हू केयर्स”…..
निश्चित ही आपको कोई चिंता नहीं पर आपके हर कृत्य का दूरगामी परिणाम होता है……. आमिर के कार्यक्रम ने स्पष्ट भी किया है…… की ज्यों ज्यों आधुनिकता बढ़ी है……. इस तरह की गतिविधियां भी बढ़ी है…. आधुनिक माएं भी इस तरह की पुत्री के लिए चिंतित रहती हैं….. बहन जी शब्द को गाली मनाने वाली लड़कियां….. निश्चित ही किसी के लिए भी चिंता बन सकती हैं….
इस शो से पूर्व इस विषय मे मैं अपने राज्य के लिए निश्चिंत था की यहाँ इस तरह की घटनाएँ नहीं होती है…… पर पता चला की यहाँ भी इस तरह के कुछ आकडे पाये गए…. निश्चित ही आज भी उत्तराखंड के पहाड़ों मे इस तरह की कोई घटना नहीं होती है…… उत्तराखंड मे अल्मोड़ा जिला 1000 लड़को पर 1142 लड़कियों वाला जिला रहा है… निश्चित ही लड़कियों की बदलती जीवन शैली और उनके प्रति पुरुषों का नजरिया…… भी लड़कियों को पैदा करने मे भय उत्पन्न करने का एक कारण हों…..
कई बार चर्चा मे आए एमएमएस मे कभी भी लड़के के बारे मे चर्चा नहीं होती…… हर बार लड़की ही शिकार बनती है…… अफसोस इसके बाद भी हर लड़की अपने को अपवाद मानती है….. वो मानती है की जैसा उस लड़की के साथ हुआ वैसा उसके साथ नहीं होगा क्योकि वो लड़की मूर्ख रही होगी…..
इस देश को कल्पना चावला, साइना नेहवाल, किरण बेदी, टेसी थॉमस जैसी महिलाओं को आदर्श मनाने वाली लड़कियों की खेप एक नई दिशा दे सकती है.. पर वर्तमान मे केटरीना, मल्लिका, करीना और अन्य कारणो से चर्चा मे रहने वाली लड़कियों (यथा पूनम पांडे, राखी सावंत) की तादात बढ़ रही है.. जिस तरह मीडिया ने पूनम पांडे और एक नई सनसनी जिस्म-2 की नायिका को चर्चा दी है.. ये एक बड़ी मुसीबत बन सकती है. अश्लीलता को चर्चा पाने का एक शॉर्ट कट बना दिया गया है…. और यहाँ हर किसी को चर्चा मे बना रहना ही पसंद है….
अब मुख्य मुद्दा…… कन्याओं को गर्भ मे ही मरने से बचाने के लिये सभी को आगे बढ़ कर सहयोग करना होगा….. एक बड़ी चिंता दहेज की है… उसके लिए सभी युवकों को आगे बढ़कर बिना दहेज विवाह की प्रथा प्रचलित करनी होगी…… विवाह का खर्च भी एक बड़ी समस्या है……. इसके लिए एक बार फिर हमें मंदिरों मे आदि शक्ति के सम्मुख इन रस्मों को साधारण तरह से करना होगा….. हमें नारियों के प्रति सम्मान के भाव को अपने भीतर पुनः स्थापित करना होगा…..यदि आपका किसी भी महिला के प्रति कोई कृत्य किसी पिता के भीतर कन्या को जन्म देने से भय पैदा करता है तो उसके दोषी आप है……..फेसबुक पर पढ़ा की…..
फेसबुक आदि साइट्स पर अश्लील भद्दे फोटो डालने वाले ये भूल जाते हैं कि
“हर एक लडकी होती है माँ बाप की जान।
फेसबुक पर फोटो डालकर ना करो बदनाम।
क्या पता उस दिन यह धरती ही हिल जाये ।
जब किसी पेज पर तुम्हारी बहन की फोटो मिल जाये।
उस दिन आँख से बेबसी के आँसू मत रोना”
वास्तव मे ये सोचनीय प्रश्न है….. की किसी भी महिला के विरुद्ध कहने से पूर्व हम अपने घर की महिलाओं के संबंध मे क्यों नहीं सोचते….. मुझे याद है की मेरे पिता ने कहा था की किसी भी लड़की के प्रति उतना ही सम्मान रखो जीतना अपनी बहिन ने प्रति और किसी भी महिला के प्रति उतना ही बोलो जितना आप अपनी माता के लिए बोल या सुन सकते हैं…… अर्थात सम्मान के शब्द ही बोले जाएँ…
अपनी ही भांति कई और अजन्मी कन्याओं को इस धरा पर जन्म लेने के लिए माहौल बनाने के लिए लड़कियों को पहल करनी होगी…. उन्हें समझना होगा…. की उन्हें इस धरा पर उदाहरण प्रस्तुत करने होंगे….. ताकि लोग उनको सम्मान दें….. ‘हू केयर्स’ कहने भर से काम नहीं चलने वाला…… आप सभी माता पिताओं के भीतर भरोसे का संचार करें की आप उनकी प्रतिष्ठा मे वृद्धि करेंगी….. कोई आंच नहीं आने देंगी……आपकी आधुनिकता वहाँ पर समाप्त हो जाती है जहां से वो आपके पिता के सम्मान के लिए घातक बन जाती है….
जब तक पुत्री के जन्मोपरांत होने वाली घटनाओं का निराकरण नहीं होता है….. कोई बदलाव नहीं हो सकता है…… इस लिए पहल जरूरी है……
सिर्फ हँगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं…..
मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए….
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