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क्या लेकर जाना है…….

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
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एक बार एक बहुत ही धनी व्यक्ति की मृत्यु हुई…..
उसकी मृत्यु के बाद व सभी क्रियाकर्मों के समाप्त होने के बाद उस धनी व्यक्ति के मुनीम ने सारी संपत्ति का विवरण उसके एकलौते पुत्र को सौंप दिया….
मुनीम ने उससे कहा की ये सब लेखा जोखा है…. इसके अतिरिक्त कई गुना अधिक धन स्वर्ण रूप मे गोदामों व कोठियों मे भी जमा है…..
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आप कहें तो मैं उसकी चाभी आपको अभी सौंप दूँ……… उन सभी तिजोरियों का पता दूँ…..
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उस धनी व्यक्ति ने सारा विवरण देखा कई करोड़ों का विवरण था… फिर वो गोदामों मे गया…… वहाँ भी कई बहुमूल्य रत्न, स्वर्ण, हीरे आदि भरे थे… उसने ये सब देखा ….
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मुनीम बड़ा हैरान हुआ….. क्योकि उस धनी का पुत्र देख तो सब रहा था……. पर उसकी आँखों मे को आकर्षण नहीं था उस धन के प्रति……. कोई लोलुपता नहीं थी……
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उस युवक की आँखों मे आँसू आ गए….. मुनीम ने कहा की आप रो रहे हैं…….
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आप इस समय इस प्रांत के सबसे धनी व्यक्ति है….. आपके पिता ने जितनी संपत्ति अपने पिता से विरासत मे ली ….. उसकी कई गुना बना कर आपके लिए छोड़ गये है…….
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आपकी हर पुश्त इस धन को बढाने मे लगी रही…. और आप इस अकूत संपत्ति को पा कर भी रो रहे हैं……. आपको तो खुश होना चाहिए…….
उस युवक ने कहा मेरे पिता के पिता मरे …… वो इस धन को अपने साथ न ले जा सके फिर मेरे पिता मरे वो भी इसे अपने साथ न ले जा सके ……..
किन्तु मैं इस धन को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ……. तुम कोई उपाय बताओ……..
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मुनीम शांत हो गया…….
युवक फिर बोला…….. तुम कहते हो पीढ़ियों से ये धन चला आ रहा है…… इसका अर्थ है……. की लोग मरते रहे पर सब यहीं छूटता रहा ….. ये धन यही रहा …. कोई इसे अपने साथ ले जा न सका….

पर मैं इस धन को अपने साथ ले जाना चाहता हूँ…… कोई उपाय बताओ…….
क्योकि जो यहीं छुट जाए उसमे सार क्या ….. मैं तो सब कुछ ले जाना चाहता हूँ… तुम जल्दी उपाय बताओ… मुझे अब चैन नहीं…… क्योंकि मौत का कोई भरोसा नहीं की कब आ जाए…….
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फिर ये चाभीयां किसी और के हाथ मे होंगी और कोई और ये सब मेरे पुत्र को दिखा रहा होगा…और अफसोस की वो भी इसे न ले जा सकेगा……
मैं इस प्रथा को यहीं समाप्त करना चाहता हूँ…….
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मैं ये सब साथ ही ले जाना चाहता हूँ…… . मुनीम ने कहा की नहीं ये तो कभी हुआ ही नहीं…..
उसने कहा मैंने तकरीब सोच ली है…… मैं ये सब साथ ही ले जाऊंगा…….
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उसने उसी क्षण सारी संपत्ति दान कर दी और सन्यस्थ तो गया ……..
उसने कहा की सारहीन को छोडकर अब मैं सार को पा ले जाऊंगा……..
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उसने वो सब कुछ छोड़ा जिसे वो अपने साथ ले नहीं जा सकता था और वो सब कुछ पा लिया जो वो मौत के बाद भी अपने साथ ले जा सकता है……..
क्योंकि जैसे ही आप जीवन को समझते हैं……. आप जीवन के पार हो जाते हैं…….

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हम सब भी इस बात को भली भांति जानते हैं की हमने अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाना है …… सब कुछ यहीं छूट जाना है… पर फिर भी हम न जाने कितनी बार अपने थोड़े से स्वार्थ के लिए किसी को दुख पहुंचाते हैं…. थोड़े से लाभ के लिए बेईमान बन जाते हैं…….. जबकि हम जानते हैं की ये सब यहीं रह जाना है…….. फिर भी छूटने वाली वस्तु कमाने के लिए हम उस चीज को कमाना भूल जाते हैं जो वास्तव मे हमारे साथ जानी है……..

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अंत में जेजे से अनुरोध ………. आज सुबह से लगातार कई लेखों पर प्रतिक्रिया देने की कोशिश कर रहा हूँ……. पर आज की तारीख मे कोई कमेन्ट पोस्ट नहीं हो पाया है….
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आज सुबह से हर लेख मे कोड विकल्प मे red ही आ रहा है……. और हर बार red लिख कर भी कमेन्ट पोस्ट नहीं हो रहा है…… इस के लिए कुछ किया जाए……..
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किसी पाठक को मेरे लेख मे इस तरह की परेशानी न हो इसलिए मैंने कमेन्ट क्लोज़ कर रखें हैं…….. इसलिए कोई भी कमेन्ट का प्रयास कर परेशान न हों…..
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शुक्रिया……..

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