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इन कुछ पंक्तियों को पहले सीधे सीधे लिखना चाह रहा था…… पर
युवा व्यस्त हैं ……. तो इतने लंबे चौड़े पैरा को पढ़ने का समय नहीं निकाल पाते इसलिए इस तरह लिखा है….. लिखने पर नहीं मुद्दों पर बात की जाए तो सही………….
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एक बूढ़ा लौ लिए अथक खड़ा है….
रास्ता दिखाने को…..
उस यांगिस्तान को …..
जहां का युवा व्यस्त है …..
व्यस्त है….
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कहीं बाइक से दूरियाँ नापने में…..
कहीं कोशिश सिगरेट के घुवें से छल्ले बनाने मे…..
कहीं शराब और मुर्गे की दावतें उड़ाने मे…
और वो बूढ़ा भूखा लगा है इनका हक दिलाने में …..
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ये व्यस्त हैं……
मल्टीप्लैक्स मे एक फिल्म देखने मे…..
जिसमे नायक लगा पड़ा है देश को उन्नत बनाने में ….
और ये व्यस्त हैं उसकी आवाज़ से आवाज़ मिलने में…..
पर वास्तविक जीवन मे वही लड़ाई लड़ता एक बूढ़ा इन्हे नज़र नहीं आता है…….
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क्योंकि यांगिस्तान व्यस्त है
वो व्यस्त है पिज्जा, बर्गर पचाने मे…..
वो व्यस्त है देश के सम्मान की जंग देखने में……
ये सम्मान मिलना है क्रिकेट के मैच मे लंका से जीत मे….
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यंगिस्तान व्यस्त है….
वो व्यस्त है रेव पार्टी मे डिस्को मे या हुक्का बार जाने मे….
वो व्यस्त है रूठी हुई प्रेमिका को मनाने में………
ये व्यस्त है क्योंकि आज सन्नी लियोन मुंबई मे पहुंची है….
और इसके इंतज़ार मे मुंबई खड़ी है……
क्योंकि इस महानायिका ने देश की संस्कृति बदलनी है…
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ये है यंगिस्तान मेरी जान……
यंगिस्तान जहां एक बूढ़ा देश को दिशा दिखाने के लिए भूखा बैठा है….
जहां कहते है 70 परसेंट आबादी युवा है….
पर जहां का युवा व्यस्त है …..
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शायद मेरा ये देश तब तरक्की कर जाएगा…….
जब इस देश का सारा युवा बूढ़ा हो जाएगा……….
Piyush Kumar Pant:
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