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आओ मनाएं आज़ादी….

परिवर्तन की ओर.......
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15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ भारत बुधवार को अपना 66वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। अपनी आजादी की 65वीं वर्षगांठ पर एक बार फिर लाल किले की प्राचीर से वही सब कुछ पढ़ा जाएगा जो पिछले कई सालों से पढ़ा जा रहा है…
हिंदुस्तान की एक चमकती तस्वीर दिखाकर उस तस्वीर से अपनी सरकारों पर लगे दाग छुपाने के प्रयास किए जाएंगे…….. सरकार की तमाम उपलब्धियां गिनाई जाएंगी… पर शायद ये उपलब्धि न बताई जाए की
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किस तरह गांधी के नाम पर वोट मांगने वाले आम जनता के अहिंसक आंदोलन को नजरन्दाज कर गए…
किस तरह एक राज्य जलता रहा और सरकार केवल दर्शक बन शांति की अपील करती रही………
किस तरह लोकतन्त्र के नाम पर देश में राजतंत्र चलाया जा रहा है….
किस तरह विधायक दल के नेता 10 जनपथ से चुने जाते हैं…. और कई बार तो विधायक दल का नेता एक सांसद चुन लिया जाता है…..
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ये हिंदुस्तान मे संभव है…. क्योकि यहाँ अमिताभ बच्चन, रजनीकान्त जैसे सुपर स्टारों के मंदिर बनाए जाते हैं… इसमें कोई गलत नहीं निश्चित ही ये दोनों महानायक अपने क्षेत्र के भगवान कहे जा सकते हैं……. पर दोष है उस मानसिकता का जो किसी को भी भगवान बना देती है………
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विरोध उस मानसिकता का है, जो अपने को सबसे बड़ा लोकतन्त्र कहने में गर्व तो महसूस करती है पर जिसे लोकतन्त्र के मंदिर संसद से बड़ा मंदिर 10 जनपथ स्वीकार है……
विरोध उस मानसिकता का है, जिसके लिए देश से बड़ा अपनी जाति व संप्रदाय है…..
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एक कहानी/घटना पढ़ी थी…. और ये कहानी/घटना जापान के अतिरिक्त अन्य किसी भी राष्ट्र पर शोभायमान नहीं हो सकती थी…….
काश की हमारे देश के बच्चे भी ऐसे ही होते….. जैसे जापान के बच्चे की ये कहानी है……
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एक बार एक संत जापान की यात्रा पर गए…… जहां उनका भव्य स्वागत किया गया और एक स्कूल ने उन्हें अपने यहाँ आमंत्रित किया….. स्कूल में बारी बारी वे छात्रों से मिले तब उन्होने एक छात्र से पूछा, “तुम्हारा धर्म कौन सा है… ”
छात्र बोला…. “बौद्ध धर्म”
सावमी जी ने पूछा की बताओ बुद्ध के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं…..
छात्र बोला… “वो तो भगवान ही थे… ” और उसने उनके प्रति अपार श्रद्धा व्यक्त की…
फिर स्वामी जी ने पूछा की कन्फ़्यूशियस के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं……
छात्र बोला “वह एक महान संत थे… ” उसने उनके प्रति भी श्रद्धा व्यक्त की…
स्वामी जी ने पूछा …. ” अगर कोई देश तुम्हारे देश पर आक्रमण कर दे, और सेना का नेतृत्व इन दोनों में से कोई एक कर रहा हो तो तुम क्या करोगे….. ”
यह सुनते ही छात्र का चेहरा सख्त हो गया और वो गर्व से बोला….. यदि ऐसा हुआ तो मैं अपनी तलवार से बुद्ध का शीश काट डालूँगा… और कन्फ़्यूशियस को पैरों तले रौंद दूंगा….. ”
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यह सुनकर स्वामी जी बोले “जिस देश के बालक तुम जैसे हों उस देश का कोई क्या बिगाड़ सकता है…. ”
और स्वामी जी ने ढेरों आशीष उस बालक को दिये……
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हिंदुस्तान अभी धर्म के लिए लड़ने में ही मगशूल है…… उसे कोई परवाह नहीं है की विकास का क्या होगा….. पहले अपना धर्म बचाना है क्योंकि देश से मतलब किसे है….. आतंकवादी भी हमें स्वीकार है यदि वो हमारे धर्म का हो……. क्यों…….. ?
मेरा मत है की कसाब को राष्ट्रीय दामाद बनाए जाने का सर्वाधिक विरोध मुस्लिम समाज द्वारा किया जाना चाहिए था….. क्योंकि सरकार उसे वोट बैंक के लिए पाल रही है……. और सरकारों की इस तरह की हरकतें मुस्लिम समुदाय के लिए जहर बोने का काम करती हैं……. कोई भी धर्म या संप्रदाय हिंसा का समर्थन नहीं करता…… पर जब किसी धर्म के आतंकवादी को रखने से वोट बैंक पक्का होता है तो उस धर्म के विरुद्ध लोगों को भड़काना सहज हो जाता है…… जो बार बार समाज को खंडित करता है…….
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इस 15 अगस्त को हम 2 मिनट के लिए अपनी मर चुकी अंतरात्मा की शांति के लिए मौन रहें……
और फिर सोचें की क्या वास्तव मे कोई धर्म किसी देश से बड़ा हो सकता है……… एक जानवर भी जिस घर में रहता है उसके लिये पूरी ईमानदारी रखता है….. फिर क्यों हम इंसान होकर भी उस राष्ट्र के खिलाफ कोई काम करने की सोच लेते है जिसमें हम पले बढ़े और जिसका दिया हम खा रहे हैं….
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स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें……….

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