Menu
blogid : 1372 postid : 1473

कल आएगा क्या..?

परिवर्तन की ओर.......
परिवर्तन की ओर.......
  • 117 Posts
  • 2690 Comments

अभी कुछ देर पहले ही वो लौटा था,
घर पर आया तो कल की फिक्र में था,
उसके घर आने के इंतज़ार में,
बच्चे दिन से बैठे थे,
पर वो उनसे बात भी न कर सका,
क्योंकि वो कल की जल्दी में था,
.
कल की तैयारी भी कर ली थी रात ही से उसने,
जैसे वक्त बिलकुल भी नहीं हो पास उसके,
कल उसको सुबह ज़रा जल्दी निकालना था,
किसी से मुलाक़ात थी, कारोबार के सिलसिले में,
वक्त मुकर्रर था, जगह भी तय थी मुलाक़ात की,
.
सुबह के लिए कुछ कपड़े भी निकले उसने,
अपने कागजों को पढ़ा और जांचा उसने,
बच्चे कुछ पूछने आए तो वो झल्ला कर बोला,
कल को आना तो बताऊंगा अभी जल्दी है,
बच्चे हैरान थे, की आखिर वो कल कब आएगा,
यही दिनचर्या के वो आदि थे जबसे होश संभाला था,
.
सोने से पहले एक आखरी बार उसने,
दीवार पर टंगी घड़ी से अपनी घड़ी को जांचा,
सुबह हुई, सूरज भी निकला,
वो दीवार घड़ी अब भी समय बता रही थी सही,
वो कपड़े, वो कागज अब भी ज्यों के त्यों पड़े थे,
जो उस मेज पर कल रात उसने रखे थे,
.
सब कुछ वही था, कुछ भी तो नहीं बदला था,
ये वही सुबह थी जिसका उसे इंतज़ार था बेसब्री से,
वो सुबह जिसका उसने बेसब्री से इंतज़ार किया,
वो सुबह रूठ जाएगी उससे, उसने सोचा भी नहीं था….
.
वो आदमी जिससे उसे मिलना था, वो वही हैं,
वो जगह जो मुकर्रर थी वो वहीं है,
कुछ भी तो नहीं बदला उस एक रात में,
बस एक वो ही चला गया,
.
जिसे उस रात में भी इस कल का ही इंतज़ार था,
वो कल जो आया तो सही,
पर जिसने बीती रात बिता दी यूं ही कल की तमन्ना में,
वो आज खुद एक कल बन कर ही रह गया………
.
.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to yamunapathakCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh